कहानीसंस्मरण
"आई लव यू "
आकर्षण और प्रेम में रत्ती भर का अंतर है । आकर्षण अगर दिमाग की उत्पत्ति है तो प्रेम हृदय की। आजकल तो गर्लफ्रेंड ,बॉयफ्रेंड बनना बनाना कॉमन बात है। पर एक दशक पहले ऐसा बिल्कुल भी ना था । यह वह वक्त था जब फिल्में इतनी संजीदा नहीं हुआ करती थी ,लोग टेलीफोन का उपयोग करते थे ,फेसबुक, व्हाट्सएप और टिंडर उपलब्ध नहीं हुआ करता था।
मैं स्कूल में था कक्षा चौथी में। कक्षा में बैठा था कि एक ऊंची कक्षा के छात्र ने आकर मेरे शिक्षक को बताया कि मुझे प्रिंसिपल सर ने बुलाया है। मैं घबरा गया । पता नहीं क्या हुआ ।
मेरे साथ पांचवी कक्षा के अमर को भी बुलाया गया था । मैं जब प्रिंसिपल सर के चेंबर में पहुंचा अमर पहले से ही वहां मौजूद था। उसने मेरी तरफ तिरछी नजर से देखा और फिर सिर झुका लिया। प्रिंसिपल सर ने मुझसे एक कागज दिखाते हुए पूछा
" क्या यह तुमने सृष्टि को दिया है?"
मैंने हामी भर दी ।
मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था ,हाथ कांप रहे थे ,माथे पर पसीना था।
मैंने तुरंत कहा
"अमर भैया ने मुझे यह सृष्टि को देने को कहा था ।"
अमर मेरी तरफ गुस्से से देख रहा था पता नहीं उसने मन ही मन मुझे कितना कोसा होगा ।
प्रिंसिपल सर ने फिर मुझसे पूछा
"पता है इसमें क्या लिखा है ?"
मैंने कहा" नहीं "
प्रिंसिपल सर ने मुझे आगे से ऐसा न करने का हिदायत दिया और कक्षा में जाने के लिए कहा ।
पता नहीं अमर भैया के साथ क्या हुआ होगा ।
आज कई वर्ष बीत गए आज मुझे पता है कि उस कागज में क्या लिखा गया होगा ।
सृष्टि और अमर पांचवी में थे अमर सृष्टि को पसंद करता था। पर उसे कहने में हिचकिचाहट थी। प्रेम करने और जताने में काफी फर्क है ।कई बार प्रेम न जता पाने के कारण एक तरफा ही रह जाता है । ऐसा प्रेम सिर्फ एक दिल में ही घर किए हुए दशकों तक छुपा रहता है ।कई बार लोग प्रेम जता नहीं सकते चाहे कारण कुछ भी हो।
शायद इसीलिए अमर ने प्रेम जताने के लिए पत्र लिखा और मुझे पत्र वाहक बनाया ।
पत्र में शायद लिखा गया होगा ""आई लव यू सृष्टि --तुम्हारा अमर ""
साथ ही एक दिल बनाया गया होगा और उस से गुजरता हुआ तीर भी ।
मुझसे लंच ब्रेक में कागज दे अमर ने उसे सृष्टि को देने को कहा था और मैंने ठीक वैसा ही किया ।
पता नहीं पर शायद सृष्टि ने प्रिंसिपल सर से कंप्लेंन कर दिया होगा अमर को सजा मिली या नहीं मुझे पता नहीं ।
पर कुछ दिनों बाद मैंने अमर और सृष्टि को साथ में लंच करते देखा। फिर कुछ दिन बाद एक गिफ्ट शॉप पर जो स्कूल के पास ही था ।
आज अमर एक इंजीनियरिंग कॉलेज में अंतिम वर्ष का छात्र है और सृष्टि के बारे में मुझे पता नहीं ।
कुछ इस तरह कई कहानियां बनती है स्कूल में जो बाद में याद बनकर रह जाती है । हर स्कूल कितनी सारी पहली प्रेम कहानियों का साक्षी बनता होगा ।
मैंने आज तक कभी इसका जिक्र नहीं किया किसी से भी। पर जब याद आती है सांसो में उनके पहले प्यार की खुशबू मुझे भी महसूस होती है।