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किन्नर मां - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

किन्नर मां

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किन्नर मां ------
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मन्नत बहुत देर से रो रही थी ,सब उसको चुपाने में लगी थी बस एक ही रट मेरे पापा कहां है? सब बच्चों के पापा आते हैं। सुमी ने कभी उसे पिता की कमी महसूस नहीं होने दी यह वह बस्ती थी जहां सब आन्टी थी कोई अंकल नहीं ।
मन्नत को कोई कचरे के डिब्बे में बांध कर रख गया था । जब सुबह बस्ती में शोर हुआ तब पुलिस के आने पर सुमी और उसकी सहेलियों ने पूरी कार्यवाही करके उसे ले लिया । वह वहाँ बहुत प्यार से पलने लगी । दूसरी बस्ती से कोई इधर नहीं आता था । मन्नत जैसे जैसे बढ़ रही थी उसकी उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी ।
सुमी ने उसका नाम एक अच्छे स्कूल में लिखा दिया पर एक दिन बच्चों की आपस की लड़ाई में किसी ने उसको बोल दिया कि तेरा कोई बाप ही नहीं है बस यही बात उसको चुभ गयी । जब वह चुप ही नहीं हुई तो सुमी ने उसके चांटा मारा और कहा कि मैं एक किन्नर हूँ और यह किन्नौरो की बस्ती है। यहाँ कोई बाप नहीं होता , सुमी स्वयं रोने लगी । वह यह बात मन्नत को बताना नहीं चाहती थी । मन्नत को कुछ समझ नहीं आया बस सुमी को रोते देखकर वह सहम गयी और बोली मां मै कभी आपका व सब आन्टियों का दिल नहीं दुखाऊगी । आज मै सबको बता दूगी कि मै किन्नर मां की बेटी हूँ ।जो दुनिया की सबसे अच्छी मां हैं ।
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल
अलीगढ़

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