कविताअतुकांत कविता
आराधना
हे मनुज
जन कल्याण की भावना
पूजन-अर्चन आराधना
ही सच्ची ईश्वर साधना
2.
मां शैलपुत्री
हिमालय सुता,जगतारिणी
वृषाऋढा ,त्रिशूल धारिणी
हम करते तुम्हारी आराधना
3.
ओ
ब्रह्मचारिणी,ब्रह्म स्वरूपा
मनोहारिणी,तपश्चारिणी
तुम्हारी आराधना,सर्वसिद्धि प्रदायिनी
मौलिक
गीता परिहार
अयोध्या