कविताअन्य
काकोरी कांड में शहीद हुये अमर बलिदानियों को अन्तर्मन से नमन।जय हिंद
एक गीत काकोरी के क्रांतिकारियों के नाम।आशा है पसन्द आएगी।
#आज_दिवस_है_काकोरी_का
आज दिवस है काकोरी का,जिसकी अमर कहानी है।
हथियारों बिन धन लूट लिया,गाथा याद जबानी है।।
बनी योजना ट्रेन लूटना,बिस्मिल जी की सोच रही।
देशभक्ति का जज्बा दिखता,उत्तम मन की सोच रही।।
कुण्ठित रहते आजादी बिन,जीवित कथा पुरानी है।
आज दिवस है काकोरी का,जिसकी अमर कहानी है।।
ट्रेन चली थी जब पैसेंजर,कुछ दूर रहा काकोरी।
स्वतन्त्रता बिन दीवानों नें , स्थान चुना काकोरी।।
असली वीर रहे भारत के ,सबकी याद जवानी है।
आज दिवस है काकोरी का,जिसकी अमर कहानी है।।
लूटा सबने धन सरकारी,बिस्मिल नें चाल चली थी।
खतरनाक वीरों की मंशा,अंग्रेजों को चाल खली थी।।
भाग गये थे लेकर धन को , बातें यही बतानी है।
आज दिवस है काकोरी का,जिसकी अमर कहानी है।।
चालीस जनों की संख्या थी,अंग्रेजों का पहरा था।
पंडित बिस्मिल लगे हुये थे ,संकट भारी गहरा था।।
साहस था अशफाक अली में,जिसनें दी कुर्बानी है।
आज दिवस है काकोरी का,जिसकी अमर कहानी है।।
पकड़ माउजर मन्मथ गुप्ता,अहमद को टपकाये थे।
तोड़ रहे थे मिलकर बक्सा,तनिक नहीं घबराये थे।।
राजेन्द्र लाहड़ी रोशन सिंह ,इनकी गाथा गानी है।
आज दिवस है काकोरी का,जिसकी अमर कहानी है।।
अरविन्द सिंह "वत्स"
प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश