कवितालयबद्ध कविता
प्रेम एक प्यारा सा अहसास है ...
प्रेम को पाना ही दिल की आस है ...
ये अनोखा रिश्ता भले ही दूर हो या पास है ...
दो धड़कते दिलो में एक ही आत्मा का वास है ...
मिल के तुमसे मिल गई थी जमाने की खुशियां ...
झूम उठता मन मेरा चाहे हो हर सहर हर गलियां ...
तेरे आने से महक उठी मानो दिल की बगिया ...
तुझ बिन चैन से न दिन कटे न रतिया ...
दो दिलों का विरह न जाने कब कैसे हो गया ...
न जाने कब सब रिश्तों से हमारा विरह हो गया ...
किताब के कोरे पन्नो सा जीवन बन गया है ...
प्रियतम को मिलने दिल बेचैन हो गया है ...
कब नसीब आएगी वो खुशनुमा शाम ...
जब होंगे हम एक दूसरे के हाथों को थाम ...
रहना चाहु सदा तेरे बाहों के हार में ...
तुझ बिन कुछ न बचा है जीवन के सार में ...
तुझ संग प्रीत लगाने की ख्वाहिश है ...
एक सिर्फ तेरे मिलने की रब से गुजारिश है ...
यह मेरे अनकहे भाव है , तुझ बिन न कटे कोई शाम है ...
जो तेरे मिल जाने पर ही लग जाता पूर्ण विराम हैं ...
ममता गुप्ता✍️