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अनोखा उपहार - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

अनोखा उपहार

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अनोखा उपहार

अकबर मल्टी में चौकीदारी करता है। उसका परिवार गाँव में रहता है।हर साल की तरह इस बार भी एक माह पूर्व से ही ईद पर अपने घर जाने की तैयारी जोर शोर से शुरू कर देता है। अब्बा के लिए पठानी सूट ,भाई के लिए शेरवानी,अम्मी,आपा व भाभी के लिए सूट लाकर बेग में जमा लिए। भतीजा कब से साइकिल की जिद किए बैठा है। वह भी देख रखी है,जाते वक्त मिठाई लेते हुए उठा लेगा। गाँव जाने के लिए मात्र एक ही बस है।
यह क्या जैसे ही वह स्टेंड पर पहुंचा बस नदारद।पता चला मंत्री जी के बेटे की बारात में गई है।
मल्टी वाले अकबर का उतरा चेहरा देख दुखी हो गए।सबने योजना बनाई कि अकबर को उदास नहीं होने देंगे। क्लब हाउस को सजाया गया।शीरा ,सिवइयां,जलेबी सहित पार्टी का इंतज़ाम किया गया।
अकबर के भाईजान से बात कर सबको लिवाने के लिए टेक्सी का बंदोबस्त चुपचाप हो गया। अम्मीजान के लिए अकबर कुकर नहीं ले पाया था। भाभी बेचारी दाल पकाने में परेशान हो जाती थी और सबको भाईजान की रोज डांट सुननी पड़ती। फटाफट बढ़िया कुकर भी ले आए।
और सब सजधज कर क्लब हाउस में इकट्ठे हों गए।बेचारा अकबर गुमसुम हो अपने काम में मशगूल हो गया।तभी उसका परिवार आ गया।मल्टी वालो ने एक साथ फूल बरसाकर ईद मुबारक बोला।अकबर की आँखों से आंसू बहने लगे।
सरला मेहता

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Kamlesh  Vajpeyi

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