कहानीलघुकथा
" प " से " म " तक
मिसेस मेहरा जब पढ़ाती है,वे पारम्परिक तरीकों से हट कर कुछ नया प्रयोग करती हैं। वे कक्षा में पूछती हैं," बच्चों तुमने अभी तक पढ़ा होगा प से म तक के वर्णों तक के शब्द।कौन बताएगा ?" पार्थ जवाब देता है, "जी मेम , प पतंग का,फ फल का,ब बकरी का,भ भक्त का और म मछली का। " मेम समझाती है, " बच्चों , कुछ नया सोचो।रटे रटाए शब्दों का उपयोग नहीं करो। " नटखट नील बोल पड़ा," जी,प पहलवान का।"
कक्षा में नीना बड़ी होशियार है।वह हर्षित हो बोली," प परिवार का,फ फुलवारी का,ब बहन का,भ भाई का और म माँ का।" मिसेस मेहरा शाबाशी देते हुए बोली ," यह हुई ना बात। वाह,तुमने ने तो परिवार ही बना दिया। माँ बहन भाई हो तो परिवार फुलवारी सा महक जाता है।" नीना ताली बजाती कहती है,
" प से परिवार और प से ही पिता क्योंकि परिवार में ही पिता समाए हैं।" मेम खुश हो कर कहती है," परिवार पिता से आरम्भ होकर माँ पर पूर्ण होता है।"
नीना उत्साहित हो कहती है,
"मेम म से माँ के साथ मम्मी मम्मा माता माई मॉम भी हो सकता है।" इतने में यश अपनी अंग्रेजी झाड़ता है,"मेम
अंग्रेजी में इस एम् का बड़ा रुदबा है।मदर की स्पेलिंग से यदि एम् निकाल दे तो बस अदर ही रह जाता है।" नीना भी अपना दिमाग लगाती है,
"मेम एक बात और , मदर की स्पेलिंग में होम भी समाया है। " प्रधान अध्यापिका बाहर से वार्तालाप सुन कर पास की कक्षा की ओर बढ़ जाती है। अगले दिन प्रार्थना सभा में मेहरा मेडम को सब बच्चों के साथ मंच पर आमंत्रित करती हैं। कल का वाक़या सुनकर सब तालियों से मिसेस मेहरा का स्वागत करते हैं।
सरला मेहता