Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
अब्बू का ख़याल व नमक की मिठास - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

अब्बू का ख़याल व नमक की मिठास

  • 172
  • 18 Min Read

लघु कथा,,अब्बू का ख़याल

चचा सुलेमान व अमीना बी पर खुदा इतना मेहरबान हुआ कि चार चार बेटियां उनकी झोली में डाल दी। नीलोफर
शब्बो सुहाना व शमा,,चारो मानो हूर की परियां,ऊपर से अब्बू की लाड़ली। पव्वे पांचे खेलने से फुरसत मिले तो अम्मी चार रोटियां सेकना सिखाए।
सुलेमान की माली हालत खस्ता थी। उनकी बड़ी आपा
जब तब राय देने से नहीं चूकती, "भैया एक एक करके निपटा इस फ़ौज को।यूँ भी तुम ठहरे अस्थमा के मरीज़।
मेरी नज़र में एक खानदानी लड़का है,हां उम्र होगी कोई तीस साल पर लड़की सुखी रहेगी।"
बस निकाह तय हो गया।करना क्या था ,,कहना भर था तीन बार,"कुबूल है।' नाज़ो से पली अल्हड़ नीलोफर ससुराल आगयी।आते ही सास ने सारी जिम्मेदारी सौप दी,बड़ी बहु जो थी। बेचारी जैसे तैसे सब काम निपटा कर थकी हारी कमरे में आ सो जाती। खाविंद मुस्तफा दुकान बढ़ा बड़े अरमान से घर पहुँचता,
अम्मी की शिकायतें शुरू हो जाती।इधर नादाँ नीलोफर क्या जाने पति की खिदमत करना। मुस्तफा के अरमान थे कि बीबी सज संवर कर इंतज़ार करे व प्यार भरी बातें करे। वह भी बीबी की खूबसूरती पर फ़िदा था पर रोज की किच किच से तंग आ गया। उसका हाथ भी उठने लगा ,ऊपर से गालियों की बौछार। नीलोफर अपने अम्मी अब्बू को परेशान नहीं करना चाहती।मुस्तफा के पास तो अपना हथियार था ही,,बोल दिया,"तलाक तलाक तलाक" मासूम मुरझाई नीलोफर शरीर पर चोंटो के निशान लिए आ गई अपने घर।अमीना ने बाहों में
भरकर पूछा,"बेटा, हमें क्यों नहीं बताया?"नीलोफर सिसकते हुए बोली," अब्बू की सेहत का खयाल किया अम्मी।" अमीना ने सोचा क्यों न पड़ोस में रहने वाले वर्मा वकील साहब से राय ले कि आगे करना क्या है। अपने खाविंद सुलेमान के साथ वह वकील सा के घर जाती है। वर्मा जी सलाह देते हैं," यह तीन तलाक अब कानूनन मान्य नहीं है।" सुलेमान कहते हैं," अब मुझे अपनी बेटी को इस निकाह से आज़ादी दिलानी है।मुझे अपनी बेटियों को तालीम दिलाना है। आप मेरी नीलोफर को उस अत्याचारी से छुटकारा दिला दीजिए।"
अमीना ने राहत की सांस लेते हुए कहा," चलो देर आए दुरुस्त आए,अब्बू को बेटी के
भविष्य का खयाल तो आया।"

" नमक की मिठास "

पत्नी के गुजर जाने के बाद शेखर जी का बस एक ही लक्ष्य है ,बेटी लावण्या की समुचित परवरिश करना।उन्हें माँ व बाबा दोनों का रोल अदा करना है। पत्नी का यह अनमोल अंतिम उपहार आज उन्हें किसी और के हाथों सौपना है।नन्हीं गुड़िया आज विदा हो रही है अपने सपनों के राजकुमार
वरुण के साथ।
शेखर जी बेटी के सास ससुर ममता जी व
अनुपम जी से हाथ जोड़ विनती कर रहे हैं,
" अपनी ओर से मैंने बेटी को सारे संस्कार दिए हैं।ममता जी , आज मैं जीवन भर की पूंजी आपको सौप रहा हूँ ।बिन माँ की बेटी से कोई गलती होतो माफ़ कीजिएगा। "
ममता जी लावण्या को आगोश में भरते हुए
बोली, " आज से यह मेरी बेटी है,आप निश्चिन्त रहे। "
रसोई के मुहुर्त होने के पूर्व वे बहु को समझाती है," देखो थकान के कारण सब लोग देर से उठेंगे,हम दोनों मिलकर जल्दी
से सब काम निपटा लेंगे।तुम दाल सब्ज़ी बना लेना,हलवा,पुलाव,रायता आदि मैं फटाफट निपटा दूँगी।लावण्या घबराहट में सब्ज़ी में दुगना नमक व दाल में डालना ही भूल जाती है।
सभी बहु के हाथों बना भोजन चखने को उत्सुक हैं। टेबल भी ऐसी सजी थी कि
देखकर ही लार टपकने लगे। जैसे ही भोजन
शुरू हुआ सब एक दूसरे का मुँह देखने लगे।फूफाजी फट से बोल पड़े," सब्ज़ी तो नमक की बनी है और दाल से नमक नदारद।"
ममता बात संभालते हुए बोली," अरे मैं सास क्या बनी कि अभी से सठियाने लगी।मसालदानी में नमक नहीं था तो मैंने ही बहु को कहा कि नमक मैं डाल दूँगी और ममता को टेबल सजाने का कह दिया।" बहु के ढलकते आंसू देख पल्लू से गाल पोछते हुए बोली," देखो आटा लगा है।" पत्नी जैसे ही अनुपम जी को पूड़ी परोसने लगी,वे बुदबुदाए," हलवे में तुम्हारे हाथ का स्वाद आ रहा है।" मुस्कुराते हुए ममता ने झट से बहु को आदेश दिया," ससुर जी तुम्हारा सारा हलवा चट कर जाएगें,हमारे लिए शायद ही बचे।"लावण्या लिपटते हुए बोल पड़ी माँ,,,
पापा और हलवा लाऊं।" उसी दिन से रिश्तों में नमक की मिठास ऐसी घुली कि लावण्या को इस नए घर में माँ व पापा दोनों मिल गए। वरुण एक कोने में खड़ा अपनी माँ की साजिश समझ मुस्कुरा रहा था।
सरला मेहता

logo.jpeg
user-image
Amrita Pandey

Amrita Pandey 3 years ago

वाह, बहुत बढ़िया

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg