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असली सोना - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

असली सोना

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"असली सोना"

"अरे ! आज डॉ सिमरन अभी तक नहीं आई।"डॉ शाह ने वार्ड ब्वाय से पूछा। सारे स्टॉफ मेम्बर्स के लिए ये रोज़ का तमाशा है,"साब जब तक मेडम के दर्शन ना कर ले,चैन नहीं।"
यूँ डॉ सा विवाहित हैं,आठ साल का बेटा है। पत्नी सुमेधा सुंदर सुशील शिक्षित व परिवार को साथ लेकर चलती है। लेकिन सा का दिल अपनी सहायिका पर आ गया। लाख कोशिशें की,बन-ठन कर रहने लगी। पर नतीज़ा कुछ नहीं । सुमेधा हारकर बच्चे के साथ सास ससुर के पास चली जाती है।
और सिमरन मेडम डॉ साहब के क्वार्टर में । दोनों ठहरे नौकरी वाले। साहब ठहरे बेपरवाह।
चाहते हैं कि कोई एक आवाज़ पर उनके आदेश का पालन करें। सुबह उठते ही,"अरे सिमरन कहाँ हो डार्लिंग। ओह तुम अभी तक सोई हो ?"
नौकर से चाय नाश्ता बनवा बेचारे चाकरी पर चल देते हैं। मेडम भी सारा घर अव्यवस्थित छोड़ क्लिनिक आ जाती है। लंच का कोई ठिकाना नहीं। शाह साहब सोचने लगते हैं, " अभी तो पूरा दिन भी नहीं बीता। सब कुछ अस्त व्यस्त। क्लिनिक जाते वक़्त ड्रेस रुमाल मौजे ढूंडने में ही घन्टा भर लग गया। सुमेधा शायद ही यहाँ आए।" वे झट से फोन लगाते हैं, " माँ , आप सुमेधा को लेकर यहाँ आ जाइए। मेरी ज़रा तबीयत ठीक नहीं है।" माँ सब समझ गई और कुछ ही देर में हाज़िर। सुमेधा पड़ोस में अपनी एक सहेली के यहाँ ही थी।माजी को भी बुला लिया था। माँ आते ही बोली, " बेटा असली और नकली सोने में फ़र्क होता है।"
सरला मेहता

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

वाह वाह

दादी की परी
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