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लौह पुरुष - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

लौह पुरुष

  • 162
  • 2 Min Read

लौह पुरुष

वल्लभ भाई पटेल महान
एक लौह पुरुष कहलाते
संगठित भारत का सपना
अपने दम पर पूर्ण किया
ग़र उनके बस में होता तो
क्या से क्या वो कर जाते
देश के निर्णय लेना हो तो
सर्वसम्मति का ध्यान रखे
पँच उंगलियाँ मिलकर के
मज़बूत मुष्टिका हैं बनाती
ग़र हम होते साथ साथ हैं
मंज़िल हमसे रहती न दूर
सहयोग से सर्वोदय होता
संसार ही स्वर्ग बन जाता
सरला मेहता

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Amrita Pandey

Amrita Pandey 3 years ago

लोह पुरुष के साथ साथ आपकी रचना को भी नमन

Sarla Mehta3 years ago

आभार

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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