कवितागजल
प्रभु मन में उम्मीद जगा दो...
प्रभु मन में उम्मीद जगा दो
नयनों में सुचि स्वप्न सजा दो...
भटक न जाऊँ मैं दुनियां में
मुझको उत्तम राह दिखा दो...
कांप रहा तन वशीभूत भय
संशय, दुविधा दूर भगा दो...
डूब न जाये जीवन नौका
भव सागर से पार लगा दो...
फांस रहा है कलयुग बंधन
उस बंधन से मुक्ति दिला दो...
नष्ट कामना कलुषित वैभव
अन्तर्मन का भेद मिटा दो...
माया का यह सुन्दर चोली
उस चोली की पर्त हटा दो...
ढूँढ़ रहा हूँ खुद ही खुद को
नाथ कृपा कर मुझे मिला दो...
सजल नयन वंदन चरणों में
दीपक 'राही' हृदय जला दो...
डाॅ. राजेन्द्र सिंह 'राही'
(बस्ती उ. प्र.)