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मुझे तू अपना सा लगता है - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मुझे तू अपना सा लगता है

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मुझे तू अपना सा लगता है

ना चाहू मैं कीमती बंगला
या मंहगी कारों का जलवा
जो घुमाए मुझको टमटम में
मुझे तू,,,,,,
ना मांगू मोती जड़ी हुई चूनर
या लहंगा भी भारी लहरदार
जो लाता सादा हरा लहरिया
मुझे तू,,,,,,,
ना चाहू मोती के कंगन चूड़ी
या हाथों की जड़ाऊ पोचियां
जो देता सुंदर चांदी की मुंदरी
मुझे तू,,,,,
मुझसे दूर कभी ना होना प्रिये
हर जनम में तू ही मुझे मिले
सदा सपनों में भी रहता मेरे
मुझे तू अपना सा लगता है
सरला

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