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न्याय - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कहानीसस्पेंस और थ्रिलर

न्याय

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न्याय
मैं ऑनलाइन हुई तो एक मेसेज फ़्लैश हुआ,यह कोई मर्लिन थी।संदेश के साथ एक फोटो भी थी,लिखा था,अपनी सलामती चाहती हैं तो इससे दूर रहें।

मैं जल्दी किसी की बातों में नहीं आती,पता नहीं क्यों मैने मर्लिन को लिखा, "मैं आपसे मिलना चाहती हूं,क्या यह मुमकिन हो सकता है?"
उसका जवाब आया,"कल शाम 5 बजे पैरामाउंट कैफे कैसा रहेगा ?"
तो हमारा मिलना तय हो गया।नियत समय पर मैं पैरामाउंट कैफे पहुंची,वह मुझे इंतेज़ार करती मिली।वह एक निहायत नफीस मुश्किल से 40 - 42 साल की खूबसूरत औरत थी।औपचारिकता के बाद हमारी बात शुरू हुई।
"आप कौन हैं ,इस आदमी से आपका क्या रिश्ता है,आप क्यों औरों को इससे दूर रहने को आगाह कर रही हैं ?" एक ही सांस में मैने उस पर सवालों की बौछार कर दी।
"में मर्लिन हूं,यह तो आप जान ही चुकी हैं।हमारा पति - पत्नी का रिश्ता था।ये रिश्ता महज 4 महीने चला।इस रिश्ते का अंजाम क्या होता अगर जेनेट की बहन ने मुझे बचा न लिया होता !उसकी सिहरन को मैने महसूस किया,जबसे मैं हक़ीक़त से रूबरू हुई हूं, मैं नहीं चाहती कोई और बेगुनाह,मासूम इसकी चिकनी - चुपड़ी बातों में आकर इसका अगला शिकार बने ।" एक लम्बी सांस छोड़ते हुए वह बोली।
"मैं सब कुछ जानना चाहती हूं,मेहरबानी करके साफ - साफ कहें।"मैने उसका मेज पर रखा हाथ अपने हाथ से थपथपाया।
"एक डे केयर प्रोग्राम में मेरी उससे मुलाकात हुई थी,उसने बताया,उसका एक बेटा है, उसकी पत्नी मर चुकी है और उसके रिश्तेदार भी नहीं हैं।
मुझे वह एक ईमानदार ,दुखी और समर्पित पिता लगा । धीरे - धीरे वक्त बीतने पर हम एक दूसरे से मिलने लगे।"वह मानो उन दिनों को फिर जी रही थी।
"हम एक दूसरे को पसंद करने लगे।एक बार उसने मुझे डेट पर बुलाया , आगे बढ़ने से पहले मैं सावधान रहना चाहती थी। मैने रेयान के बारे में ऑनलाइन सर्च की तो पता चला ,उस पर अपनी पत्नी के कत्ल का इल्जाम था, मुकदमा भी चला था, मगर पुख्ता सबूतों के अभाव में उसे रिहा कर दिया गया था ।"यह पढ़ते ही मेरा सिर चकरा गया,मेरे पैरों के नीचे जमीन हिलती महसूस हुई।"
"फिर भी आपने उससे शादी कर ली?"मैने तनिक रोष में पूछा।
मर्लिन बोली,"सुना है न प्रेम अंधा होता है ? मेंने जब रेयान से इस बाबत पूछा तो उसने कहा, कि पुलिस और जेनेट के घर वाले उसे फंसाना चाहते थे। उसने अपनी पत्नी की हत्या नहीं की थी, बल्कि वह तो उसे बहुत ज्यादा चाहता था । मैं उस पर यकीन कर बैठी।हमने शादी कर ली ।"
"तो क्या रेयान निर्दोष नहीं था,उसने सचमुच अपनी बीवी का कत्ल किया था, और आप एक क़ातिल के साथ एक छत के नीचे थीं ?"मैने फिर एक साथ कई सवाल दाग दिए।
"मैंने उस पर ऐतबार कर लिया था कि उसे
झूठ - मूठ फंसाया जा रहा था।वह तो एक दिन मेरी निगाह एक मेसेज पर पड़ी।यह जेनेट की बहन का था।वह औरतों को रेयान से सावधान करने की मुहिम थी। मैंने सोचा मैं उससे मिलूंगी।उस वक्त हमारी शादी को 4 महीने ही हुए थे।"
"यक़नन इस मुलाक़ात को आपने रेयान से गुप्त रखा होगा ?"
"बिल्कुल,सच तो यह था कि मैं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित थी।शादी के चार महीनों में मैने रेयान का एक अलग ही रूप देखा था।वह बहुत जल्दी गुस्सा हो जाता था।गुस्से में उसने कई बार मेरा सिर दीवार में मार दिया था। "उसकी आंखों में खौफ साफ दिखाई दे रहा था।
मैं जेनेट की बहन रीटा से मिली।उसने बताया कि रेयान कई लड़कियों से संबंध रखे हुए था।जेनेट उसके प्यार में पागल थी।वह बहुत ही आसानी से किसी की भी बातों में आ जाती थी।उसने हमारी एक न सुनी।उन्होंने शादी कर ली।रेयान का रवैया नहीं बदला।मगर जल्दी ही उसका भांडा फूट गया।मगर तब तक देर हो चुकी थी ,जेनेट मां बनने वाली थी।
जेनेट हर कीमत पर अपना घर बचाना चाहती थी,उसने हमसे कहा," मुझे यकीन है रेयान को जब मालूम होगा कि वह बाप बनने वाला है,वह सही रास्ते पर आ जाएगा,आप इस वक़्त मेरा साथ दें।उसको समझा - बुझा कर सही राह पर लाने में मेरी मदद करें।"उसके मुंह से आह निकली।
जेनेट के घरवालों ने वैसा ही किया।जेनेट के बेटा हुआ।इस बात को 6 महीने हो रहे थे।सबको लगा सब ठीक चल रहा है तभी उन्हें खबर आयी कि जेनेट का कत्ल हो गया है।
रेयान ने पुलिस को बताया कि रात 8 बजे वह फुटबॉल खेलने गया था।जेनेट ने उसे कहा कि वह सोने जा रही है।वह बिस्तर पर जा चुकी थी।जब वह लौटा तो 10 बज रहे थे ।उसने अपनी चाबी लगा कर दरवाज़ खोला और ऊपर बेडरूम में पहुंचा,तो देखता है कि जेनेट खून से लथपथ पड़ी है।उसे किसी ने गोली मार दी थी।
यह झूठ था, क्योंकि जेनेट को गोली नहीं मारी गई थी, उस पर चाकू से कई वार किए गए थे । ताज्जुब की बात यह थी कि उसका बेटा सही सलामत था।घर के सामान के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई थी।पुलिस ने उसके बयान में कई गड़बड़ियां पाईं।उसके पड़ोसियों ,नौकरों,दोस्तों और जहां काम करता था उस फर्म के मालिक से भी उसके बारे में तफ्तीश की गई ।फर्म के मालिक ने बयान दिया कि वह झूठा ओर बेईमान इंसान था।उन्होंने उसे चोरी करते रंगे हाथ पकड़ा था ।उसके माफ़ी मांगने पर माफ भी कर दिया था, किन्तु वह अपनी हरकत से बाज नहीं आया ,दोबारा जब उन्होंने उसे फिर चोरी करते पकड़ा ,तो वह उन पर हमलावर हो गया।अन्य लोग बीच में न आते तो शायद वह उनका कत्ल कर देता।उन्होंने उसे फौरन नौकरी से निकाल दिया था।
जेनेट के कत्ल का उस पर मुक़दमा चला,मगर साक्ष्य के अभाव में वह बच गया।
इस अनसुलझी गुत्थी के साथ ही फाइल बंद हो गई ।
मैं सकते में आ गई,मैंने कहा,"जेनेट को न्याय मिलना ही चाहिए , ऐसे कैसे केस बंद कर सकते हैं?"
मर्लिन ने नरमी से मेरी ओर देखा और बोली,"मैंने जेनेट की बहन का साथ दिया । मैंने रेयान से तलाक ले लिया। हमने रेयान की फाइल दोबारा खोलने की याचिका डाली,जो मंज़ूर हुई और उसका केस दोबारा खोला गया । सबूतों को फिर से परखा गया। सबूतों मे एक कॉन्टैक्ट लेंस की डिब्बी भी थी, जिसमें लेंस नहीं थे।इस बात को पहले जांचकर्ताओं ने ग़ौर नहीं किया था। अगर मर्लिन सोने जा रही थी, तो लेंस पहनकर तो नहीं सोती, यक़नन उतार कर सोती। तो फिर लेंस कहां थे ?"
"ये हुई न बात,इस तथ्य के सामने आने से तो रेयान बच ही नहीं सकता !"मैंने उतेजित होकर कहा।
"हां, इस बाबत जेनेट के परिवार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, वह सोने से पहले लेंस हमेशा उतार कर ही सोती थी।जब रेयान से लेंस के बारे में पूछा तो उसके पास इसका कोई जवाब नहीं था।उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यह फरवरी 2010 की बात है ,जेनेट की हत्या के 7 साल बाद की ।रेयान पर फर्स्ट डिग्री मर्डर का चार्ज लगा ।"
"तो रेयान को जेल हो गई ,कड़ी सजा होगी न उसे? "मैंने पूछा।
"न्याय लंबा समय लेता है... जेनेट का शव परीक्षण के लिए कब्र से निकाला गया ।विशेषज्ञों को लेंस के टुकड़े मिले जिन्हें परीक्षण के लिए भेजा गया।लंबे समय तक नमी में रहने के कारण लेंस फूल चुके थे ,मगर उन पर सैंपल नंबर लिखा मिल गया।इस नंबर के लेंस जेनेट के ही थे,यह काफी पुख्ता सबूत था।"वह अचानक चुप हो गई।
"फिर क्या हुआ,मुझे यकीन है रेयान को अपना जुर्म कबूल करना पड़ा होगा ?"
"नहीं,वह साफ मुकर गया,वह चिल्ला - चिल्लाकर ,रो - रोकर यही कहता कि उसने खून नहीं किया।उसने उपरी अदालत में अर्जी दी।फिर वही बहस,जिरह नतीज़ सिफर। प्रत्यक्षदर्शियों के अभाव में वह वहां से भी बेदाग बरी हो गया।"
"ओह,!"मुझे सचमुच अफसोस था,गुस्सा उससे भी ज्यादा। ।
उसने निर्विकार भाव से कहा,"अदालत से रीटा को निराशा मिली थी।उसने कहा वह अदालत से तो अपनी बहन को न्याय नहीं दिला सकी मगर अब किसी और को उस भेड़िए का शिकार न होने देगी , तबसे मैं भी रीटा के साथ हूं।न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी तो नहीं हटा सके हम,कोशिश है औरों की आंखें खोल दें।"
मौलिक

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दादी की परी
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