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#शब्दाक्षरी_अगस्त_प्रतियोगिता२०२०
#बारिश_वाला_प्यार
विधा- कहानी
दिनांक- 09अगस्त२०२०
शीर्षक- प्रेम की बूँदे भाग 1
आसमान में चमकती बिजली को देख मोहिनी के माथे पर डर का पसीना चमक रहा था। तेजी से धड़कते दिल के साथ मोहिनी , उंगलियों पर अपने सफेद दुप्पटे को किनारे से घुमाये जा रही थी।
"न जाने ये बारिश कब रुकेगी! इसे भी आज ही बरसना था..पता नही , मैं यहाँ से घर कब पहुँचूंगी!" मोहिनी ने बड़बड़ाते हुए अपने आप से कहा। पास ही ड्राइविंग सीट पर बैठे नवीन ने सब सुन लिया और निगाहें तिरछी करते हुए मोहिनी को देखा और अपना रुमाल निकालकर मोहिनी की तरफ बढ़ा दिया।
"लीजिये, अपना पसीना पोंछ लीजिये।"
"नही चाहिए।" मोहिनी ने बड़े ही रूखे अंदाज में जवाब दिया और फिर उसी बेचैनी में अपनी उँगलियों पर दुपट्टा घुमाने लगी।
नवीन ने इस बार कार का एसी ऑन किया जिसे पहले मोहिनी के छींकने पर ही बंद किया था । मोहिनी सब समझ रही थी और नवीन को जरा भी ढील न देने की एवज़ में मोहिनी ने कड़क स्वर में कहा,
"आप को मेरी फिक्र करने की कोई जरूरत नही , आप सीधे सीधे कार चलाईये।"
"जी!!!.मैंने....मैंने क्या किया!" नवीन ने स्टेरिंग घुमाते हुए हड़बड़ाकर पूछा।
"देखिए मिस्टर , मैं खूब समझती हूँ । कभी आप एसी ऑफ ऑन कर रहे है,कभी रुमाल ऑफर कर रहे है। मैं आपको साफ साफ बता दूँ कि मुझ पर कोई असर नही होगा। और न ही मैं आपको कोई चांस देने वाली हूँ, ये तो नैना ने जिद की और मेरी भी मजबूरी थी वरना मैं अकेले किसी भी मर्द के साथ यूँ रात को एक ही कार में सफर न करूँ। आप के लिए ये जान लेना बेहतर होगा कि, मुझे आप मे , या किसी भी मर्द में कोई दिलचस्पी नही। बस। " मोहिनी ने धड़ल्ले से अपनी बात खत्म की । नवीन सब सुन लेने के बाद चुपचाप कार चलाता रहा मगर बारिश इतनी तेज थी कि सामने रास्ते पर देख पाना बहुत मुश्किल था और इसीलिए शहर पहुँचने में बहुत वक़्त लग रहा था। रात का वक़्त, तेज बारिश , कार में बगल की सीट पर बैठी खूबसूरत लड़की..रुमानियत पूरे शबाब पर थी । नवीन तो पहले से ही मोहिनी को मन ही मन चाहता था । उस दिन... उस दिन भी मोहिनी ने ऐसा ही सफेद सलवार कमीज पहना था जब नवीन ने उसे पहली बार देखा था.....
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नवीन अपनी बहन नैना को उसके कॉलेज छोड़ने गया था जहाँ मोहिनी बतौर डांस टीचर जॉब करती थी। क्लासिकल डांस सिखाते हुए , सफेद कपड़ो में , खिलखिलाकर नाचती हुई मोहिनी एकदम अप्सरा लग रही थी ।
"बाय भैया" कहकर नैना कार से उतरी तो नवीन की निगाह मोहिनी पर जा टिकी वो चाहकर भी अपनी नजर हटा न सका। इस दिन के बाद से ही नवीन रोज नैना को छोड़ने उसके कॉलेज आने लगा। चार महीने तक , ये सिलसिला चलता रहा लेकिन नवीन ने कभी अपने एहसासों को शब्द देने की कोशिश नही की। ~~~~
आज नैना , सुबह से ही मोहिनी को.....क्रमशः
©मनप्रीत मखीजा