कहानीलघुकथा
फ़ेहरिस्त
सूरज के साथ उठना और घड़ी के काँटो का अनुसरण करती नन्दिनी
फोन उठाती है," अरे शुभि कहाँ पोस्टिंग है तुम्हारी ?"आदि चर्चा करते सोचने लगती ख़ुद की मशीनी ज़िन्दगी के बारे में, " नीरव ने कहा है कि मैं अपनी दिनचर्या की लिस्ट बनाऊँ। लिखने लगी तो दो पन्ने भरने के बावजूद भी अधूरी। "
हिम्मत करके पति से भी पूछ बैठती है उनके कामों के बारे में। बस चाय, नाश्ता,ऑफिस फिर खाना और सोना।
नन्दिनी अपने आदर्श गृहणी के सपने को ताक में रख पुरानी नौकरी करने की मंशा बता देती है। अब नीरवता स्पष्ट देखी जा सकती थी नीरव के चेहरे पर।
सरला मेहता