कहानीलघुकथा
किलकारी
डॉ दम्पत्ति का अस्पताल एक वाकये के बाद धड़ल्ले से चलने लगा। यह देख एक मित्र ने कारण पूछा। डॉ अश्विन ने बताया, " हमारे बच्चे हैं नहीं,मैं और शुभा हर वीक-एंड में तफ़री पर निकल जाते हैं। एक बार राह में शुभा को चाय की तलब हुई। एक सूने से टपरे नीचे बैठी महिला से कुछ बिस्किट आदि के मर्तबान देख चाय का पूछा।
काफी देर बाद वह पुराने से मगों में चाय लाई। अदरक इलायची वाली चाय ने मन खुश कर दिया। उसने सिर्फ़ टोस्ट के पैसे लिए ,चाय के नहीं।" वह हाथ जोड़कर बोली ," भैया हम चाय नहीं बेंचते। बच्चे का दूध रखा था।आप मेहमान ने चाय मांगी तो,,,l " पति का पूछने पर बताया कि बीमार हैं।
डॉ दम्पति ने इंजेक्शन दवाई दे आश्वस्त किया। पास से बच्चे के लिए दूध भी ला दिया।
डॉ अश्विन ने मित्र को बताया, " बस उस गरीब महिला की भावना देख हम गरीबों से पैसे नहीं लेते। तभी से ईश्वर की कृपा हो रही है। हाँ,हमारे यहॉं बच्चे की किलकारी भी गूंजने वाली है।
सरला मेहता