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" चाय भी क्या चीज़ है " - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

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" चाय भी क्या चीज़ है "

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# किस्सा कहानी
" चाय भी क्या चीज़ है "

एक वक्त था कि मेरी चाय पॉट सहित जल जाया करती थी। क्योंकि तब मेरे कामों की एक श्रृंखला रहती थी। किन्तु आजकल कुछ उल्टा ही हो रहा है। घर का कोई काम नहीं ,,,कुछ उम्र के कारण और बहु ख़ुद सारे दायित्वों को बख़ूबी निभा लेती है। जो मुझसे बनता है,कर लेती हूँ।
एक अहम कार्य है मेरे लिए लेखन की धुन। इस आभासी दुनिया में नए नए विषय कलम चलाने को मिल रहे हैं। बस इसी धुन में दिमाग़ में सतत चिंतन चलता रहता है। कुछ अच्छे कथ्य तथ्य शिल्प से गूथने का बवंडर अन्य बाते भुला देता है।
ऐसे में चाय टेबल पर रखी रखी लस्सी बन जाती है। अभी अभी यही हुआ,,,अदरक वाली चाय पड़े पड़े ठंडी हो गई। गरम करके लाई, फिर भूल गई। अब आप ही बताएं,क्या करूँ ?
सच , इस आभासी दुनिया ने मुझे भी ख़ुद को ही खोने को मज़बूर कर दिया। इस बेचारी चाय का क्या कुसूर,,, ज़िन्दगी भी तो गरम ठंडी होती रहती है।
सरला मेहता

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

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