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मुस्काती है ज़िन्दगी - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मुस्काती है ज़िन्दगी

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मुस्काती है ज़िन्दगी

टेढ़ी मेड़ी पगडंडी
काँटों से भरी है
मुस्कानों के फूलों से
सहज हो जाती है
कैसी भी हो ज़िन्दगी
बन जाती है बंदगी
आहें कराहें तकलीफें
ही जो देते हैं
दुआएं वो किसी की
कभी नहीं लेते हैं
अच्छी भली ज़िन्दगी
बन जाती है शर्मिंदगी
अत्याचार भ्र्ष्टाचार
गद्दारी के गोरख धंधें
दुराचार व्याभिचार
जिस देश में होते हैं
ख़ुशहाल सी ज़िन्दगी
बन जाती है दरिंदगी
प्रेमशान्ति भाईचारा
सहयोग की भावना
सनातनी परम्परा
व पारिवारिक मूल्यों से
इंद्रधनुषी रंगों से
मुस्काती है ज़िन्दगी
सरला मेहता

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

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