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वक़्त - Punam Bhatnagar (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेरणादायक

वक़्त

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वक़्त

                पता नही क्यों पर अक्सर ये होता है , कि हम जीस को अपना सब से अच्छा दोस्त   मानते    है ,
                वही हम को दुख देता है आकाश रीमा बहुत ही अच्छे दोस्त थे ,वो स्कूल मे    मिले थे  एक दूसरे 
               को पसंद करते थे , दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता भी नहीं चला ,आकाश को जब दूसरे शहर 
               जाना था , नौकरी के लिए अब रीमा अकेली रह गई ,अब रीमा बस फोन का इन्तजार करती कि 
              कब आकाश का फोन आये वो दिनभर कि बाते उसे बताती ,अब रीमा को लग रहा था कि कब 
             उस कि शादी होगी ,वो कब आकाश के पास हमेशा के लिए चली जाए वो पुराने दिन याद करती    जब आकाश यहाँ होता था , तो वक्त का  पता ही नई चलता था  बहुत सारी बातो को याद करके 
 उस का मन उदास हो जाता ,कुछ दिन मे आकाश वापस आ गया उस ने अपने घर बात कि  और    रीमा   के घर बात कि उन दोनों कि जल्दी ही शादी होएंगी , अब रीमा आकाश के साथ बहुत सपने       लेकर चली गई ,वो शहर भी रीमा का इन्तजार कर रहा था वो नया शहर नई जगह नये लोग नई  जगह थी   अब व घर का सामान  घर सजाने मे मगन थी ,पर ये सब भी कब तक चलता  वक्त    भाग  रहा था अब आकाश का काम भी  ज्यादा  रहने लगा  अब वो रीमा को पहले कि तरह  टाइम नई   दे पा रहा     था अब रीमा उदास रहने लगी  ,अगर वो आकाश को फोन भी करती   तो आकाश कई बार फोन नई  उठा  पता अब वो देर से आता सुबह जल्दी चला  जाता ,रीमा अपने मन को समझती कि कोई बात   आकाश को आज कल ज्यादा काम रहता है ,अब वो  भी बीना   कुछ बोले अपनये  नई  नौकरी में मगन होगई

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दादी की परी
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