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मिनी , कम बोलो - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

मिनी , कम बोलो

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  • 4 Min Read

" मिनी ! कम बोलो "

मिनी मास्क से जान छुड़ाने तल्ख़ी से बोली , " पापा ये कब तक ? मिस कहती थी finger on lips,,,पर ये क्या झंझट नाक भी बंद।कब जाएगा ये कोरोना ?"
ख़ुद भी परेशान पापा बोले, " बिट्टो , तुम्हें डॉ जो बनना है। अभी से प्रेक्टिस हो जाएगी,ठीक।" मिनी भी ठहरी सौ पे सवा सेर छूटते चिल्लाई, " उँहू बड़ी होकर तो वैसे भी नए नवेले स्कार्फ़ बाँध फर्राटे भरूँगी। अभी से क्यूँ ,,,,? क्या पापा मुझ बातूनी पर शिकंजा कसने वाले हैं कि कम बोलो।"
तभी सिलाई करती मम्मा की आवाज़ आई , " ओ लाड़ो ! लो मैंने खूब सारे मैचिंग मास्क्स सिल दिए। और अपनी फेंड्स को भी बर्थडे की रिटर्न गिफ्ट्स दे देना।"
सिर पकड़े बैठी मिनी सोचती है ," हे भगवान ये मम्मा पापा को क्या हो गया है । कहीं मास्क की फैक्ट्री ही ना खोल बैठे,मेरे लिए स्टार्ट अप,,,,,!!!"
सरला मेहता

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

दादी की परी
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