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छल - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

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छल

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बच्चो
भारत ने महान हस्तियों को जन्म दिया।साथ ही दुनिया को कई ऐसी चीज़ें दीं जिससे लोगों का जीवन सुगम बना लेकिन गुलामी की ज़ंजीरों में जकड़े होने के कारण की बार भारतीयों को उनके अविश्वसनीय कार्यो के लिए पहचान तक नही मिल पाई।
आज बात करेंगे विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत - माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई मापने वाले गणितज्ञ की। हमें बताया गया है कि भारत का पहला सटीक मानचित्र विलियम लैंबटन और जॉर्ज एवरेस्ट ने बनाया था।जॉर्ज एवरेस्ट ने ही सर्वप्रथम त्रिकोणमिति के सरल तकनीकों का उपयोग करके एवरेस्ट की ऊंचाई को मापा था, जिसके कारण दुनिया के सर्वोच्च शिखर का नाम जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर माउंट एवरेस्ट रखा गया था। लेकिन आश्चर्य कि बात यह है कि एवरेस्ट की ऊंचाई को मापने वाले पहले शख्स जॉर्ज एवरेस्ट नहीं थे, वह एक भारतीय महान गणितज्ञ थे , राधानाथ सिकदर।
जॉर्ज एवरेस्ट एक गणितज्ञ की तलाश कर रहे थे, जिसे गोलीय त्रिकोणमिति में प्रवीणता हासिल हो। तब दिल्ली के हिन्दू कॉलेज के गणित के शिक्षक टाइटलर ने अपने छात्र राधानाथ के नाम की सिफारिश जॉर्ज एवरेस्ट के सामने की। उस समय राधानाथ सिकदर केवल 19 वर्ष के थे। राधानाथ ने 1831 में प्रति माह 30 रुपये वेतन पर भारतीय सर्वेक्षण विभाग में “गणक” (कंप्यूटर) के रूप में काम करना प्रारंभ किया।जल्द ही राधानाथ सिकदर को देहरादून के पास सिरोंज भेजा गया, जहां उन्होंने भूगर्भीय सर्वेक्षण में उत्कृष्टता हासिल की।जॉर्ज एवरेस्ट, राधानाथ सिकदर के काम से इतने प्रभावित थे कि जब सिकदर भारतीय सर्वेक्षण विभाग को छोड़कर डिप्टी कलेक्टर बनना चाहते थे, तो एवरेस्ट ने हस्तक्षेप किया और घोषणा की कि कोई भी सरकारी अधिकारी अपने बॉस की मंजूरी के बिना दूसरे विभाग में नौकरी नहीं कर सकता है।1843 में जॉर्ज एवरेस्ट भारत के सर्वेयर जनरल के पद से सेवानिवृत्त हो गए और कर्नल एंड्रयू स्कॉट वॉ को उनके स्थान पर नियुक्त किया गया।
लगभग 20 साल तक उत्तर भारत में काम करने के बाद 1851 में सिकदर को मुख्य गणक के रूप में कलकत्ता स्थानांतरित कर दिया गया।यहां उन्होंने भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अलावा मौसम विज्ञान विभाग के अधीक्षक के रूप में भी काम किया।कर्नल एंड्रयू स्कॉट वॉ के आदेश पर सिकदर ने दार्जिलिंग के पास बर्फ से ढके हुए पहाड़ों को मापना शुरू किया।चोटी XV के बारे में छह अलग-अलग स्थानों से आंकड़े इकट्ठा करने के बाद सिकदर ने यह निष्कर्ष निकाला कि चोटी XV दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है।
1862 में सिकदर भारतीय सर्वेक्षण विभाग की नौकरी से सेवानिवृत्त हुए।उसके बाद वे “जनरल असेम्बली इंस्टीट्यूशन” (अब स्कॉटिश चर्च कॉलेज) में गणित के शिक्षक के रूप में काम करने लगे। 17 मई, 1870 को चन्दन नगर के गोंडापाड़ा गांव में उनका निधन हो गया।
राधानाथ का जन्म 1813 में अक्टूबर के महीने को कोलकाता (पहले कलकत्ता) के जोड़ासांको में हुआ था, उनके पिता का नाम तितुराम सिकदर था, राधानाथ को पढ़ने-लिखने का खूब शौक था, लेकिन उनके घर की माली हालत ठीक नहीं थी, ऐसे में उनके पास एक ही विकल्प था कि किसी तरह स्कॉलरशिप हासिल कर लें। चूंकि वह मेधावी थे, तो उन्हें आसानी से स्कॉलरशिप भी मिल गयी। राधानाथ के छोटे भाई श्रीनाथ का दिमाग भी राधानाथ की तरह ही तेज़ था और उन्होंने भी प्रतिभा के बूते स्कॉलरशिप ले ली थी।अपने स्कॉलरशिप के पैसे से राधानाथ किताबें खरीदते और श्रीनाथ को मिलने वाले स्कॉलरशिप से घर का चूल्हा जलता। इस तरह स्कॉलरशिप के पैसे से ही पढ़ाई और पेट की आग भी बुझने लगी। सन् 1824 में राधानाथ सिकदर ने हिन्दू स्कूल (संप्रति प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय) में एडिमशन ले लिया। उनका प्रिय विषय गणित था, इसलिए गणित विषय लेकर ही वह पढ़ने लगे। हिन्दू स्कूल में उन्हें प्रोफेसर जॉन टाइटलर नाम के एक अध्यापक मिले और टाइटलर को एक प्रतिभाशाली शागिर्द। दोनों में खूब बनती थी।राधानाथ कितने विद्वान थे, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि हिन्दू स्कूल में पढ़ते हुए ही उन्होंने कॉमन टांजेंट बनाने का नया तरीका ईजाद कर, वहां के शिक्षकों को आश्चर्यचकित कर दिया था।
जब सर्वे ऑफ इंडिया में उन्हें नियुक्ति मिली तो उन्हें कम्प्यूटर का पद मिला।
उस वक्त तक कम्प्यूटर का ईजाद नहीं हुआ था ,इसलिए कम्प्यूटर का काम आदमी ही किया करता था।ऐसे काम करने वालों को कम्प्यूटर कहा जाता था।सर्वे ऑफ इंडिया में उन्होंने लंबे समय तक काम किया। इस बीच सर जॉर्ज एवरेस्ट रिटायर हो गए और उनकी जगह एन्ड्रू स्कॉट वा (सन् 1843 में) सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया बनकर भारत आए। जॉर्ज एवरेस्ट और स्कॉट वा के बीच गुरू-शिष्य का रिश्ता माना जाता था। राधानाथ के काम से ‘स्कॉट वा’ भी काफी खुश हुए और सन् 1849 में पदोन्नत कर उन्हें चीफ कम्प्यूटर बना दिया।साल 1852 के आसपास ,एक रोज सुबह सवेरे सर्वे जनरल ऑफ इंडिया के डॉयरेक्टर ‘एंड्रयू स्कॉट वा’ अपने दफ्तर में थे। उनके साथ दूसरे कर्मचारी भी दफ्तर पहुंच कर काम में व्यस्त हो रहे थे। उसी वक्त एक शख्स तूफान की तरफ ‘स्कॉट’ के कमरे में दाखिल हुआ और खुशी से चीखते हुए बोला, ‘सर, मैंने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी का पता लगा लिया है!’ यह सुनकर स्कॉट हक्के-बक्के रह गए।वह शख्स कोई और नहीं राधानाथ सिकदर थे। उन्होंने बताया कि सबसे ऊंची चोटी 29002 फीट है।कालांतर में जिस पर्वत का नाम उसकी गणना करने वाले सिकदर के नाम पर
होना चाहिए था उसे' सर्वे ऑफ इंडिया‘ के पूर्व डॉयरेक्टर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर‘माउंट एवरेस्ट’ रख दिया गया।
उन दिनों ऊंचाई मापने के लिए थियोडोलाइट करीब 450 किलोग्राम वजन की एक मशीन ही हुआ करती थी।जिसे उठाने के लिए एक दर्जन लोगों की जरूरत पड़ती थी।राधानाथ सिकदर ने इस मशीन से करीब 800 किलोमीटर दूर से ‘पीक xv’ को नापा।वे काफी मेहनत से सन् 1852 में इस नतीजे पर पहुंचे कि ‘पीक xv’ की ऊंचाई 29002 फीट है। स्कॉट ने इस ईजाद को तुरंत सार्वजनिक नहीं किया, बल्कि दो-तीन स्रोतों से इसकी पुष्टि करने और तसल्ली के बाद 1856 में इस बात की सार्वजनिक तौर पर घोषणा की।
एवरेस्ट के नाम पर ‘पीक xv’ का नामकरण माउंट एवरेस्ट कर दिया।इस तरह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को मापनेवाले राधानाथ सिकदर इतिहास में हाशिए पर धकेल दिए गए।
"इतना बड़ा छल!धिक्कार है!"

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दादी की परी
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