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नवल वधु - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

नवल वधु

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नवल वधु

चंदा सी नवल वधु
अंगने पधारी है
कलियां बिछा करके
खुशियाँ जताई है
अक्षत भरे ताम्रपात्र को
दाए पैर से बिखेरी है
पुष्प पंखुरियाँ वार वार के
माँ ने आरती उतारी है
कुमकुम जल भरी थाल से
लाल पगल्या लगाईं है
बिटवा संग लाडली बहु बेटी
घर हमारे आज आई है
सरला मेहता

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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आग बरस रही है आसमान से
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