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* क्लास श्री बिटिया *
बात बहुत पुरानी है जब मेरी बेटी ने बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण की थी। वह तब कई कोचिंग क्लासेस जाती थी।उसके पापा या कोई भी पूछते , "सोनिया कहाँ गई ?" सच पूछा जाए तो सोचती रह जाती कि कौन सी क्लास गई है। फिर मुझे अपने पति की नाराजी का शिकार होना पड़ता था ,"अकेली लड़की और स्कूटी से गई है इतनी दूर।" हाँ तब ये मोबाइल का ज़माना भी नहीं आया था कि चुपचाप घन्टी बजा कर पूछ लूँ।
अपने इस भुलक्डपन की एक तरकीब ढूंढ़ी। नम्बरवाइज क्लासेस के नाम , समय व नोट बाय सोनिया बनाया। फिर कुछ राहत मिली।
अब बताइए कोर्स के तीन चार जो भी हो वे विषय, ,नृत्य,चित्रकारी, संगीत,कोई क्राफ़्ट,ड्रामा वगैरह। हाँ कुकिंग में भी अलग अलग तरह के मीठे,नमकीन,आइसक्रीम आदि के वर्कशॉप्स और भी ना जाने क्या क्या।
नवरात्रि में गरबे का जुनून तो वार्षिक उत्सव में नाटक आदि की तैयारी। भला क्या क्या याद रखती मैं।
परिवार में सबने उसे क्लास श्री की उपाधि दे रखी है। मेरी माँ अलग मुझे डाटती ,"तेरे पास सरला पैसे उछलते हैं। दिन भर नौकरी घर व बच्चों में माथा खपाती रहती है। फिर कहती कि मैं आजकल भूल क्यों जाती हूँ।"
सरला मेहता
बहुत सुन्दर संस्मरण..! जब बच्चे कई क्लास लगातार अटेंड करते हैं. तो उनका बहुत सा समय एक क्लास से दूसरे में जाने में जाता है.मातापिता भी चिंतित रहते हैं. मेरा बेटा तो केवल फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स जाता था. लेकिन पत्नी के लिए भी व्यस्तता हो जाती थी. मेरा तो अधिकांश समय आफिस के लिए ही जाता था..! '' क्लास श्री '' की उपाधि उचित ही है.