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हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों

  • 111
  • 6 Min Read

हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों..

हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन..

शौर्य तुम्हारा अतुलित, तुम हिम्मतवाले
जज्बा वतन की रक्षा का हो मन में पाले
देखो, करता गर्व बहुत हर्षान्नदित गगन
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन...

सीमा पर तुम डटे हुए हो बनकर रक्षक
दुश्मन के उम्मीदों का हो तुम ही भक्षक
हुए सुरक्षित जीव दिख रहे, सभी मगन
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन....

क्या मजाल बैरी की टेढ़ी आँख दिखाये
भारत की धरती पर गोले, बम बरसाये
कर देते उसको क्षण- भर में हीन नयन
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन...

दुस्साहस बैरी करता है जब-जब सीमा
तब-तब उनके घर में बहता आंसू धीमा
मिलता नहीं खोजने से भी उनका बदन
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन...

शीश वतन का झुके नहीं स्वीकार किया
जब-जब पड़ी जरूरत अपना रक्त दिया
एक-एक दुश्मन का रण में किया चयन
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन...

तुमसे ही विश्वास अटल संरक्षित अपना
तुमसे ही हो रहा पूर्ण हम सबका सपना
महक रहा हर ओर सुगंधित हुआ पवन
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन...

हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों
कोटि नमन करते है तुमको कोटि नमन...

डाॅ. राजेन्द्र सिंह राही
(बस्ती उ. प्र.)
9918779472

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