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संस्मरण
# किस्सा कहानी
"फ्रेक्चर्स श्रृंखला"
डॉक्टर्स कहते हैं केल्शियम से हड्डियाँ मज़बूत होती है। हाँजी ये किस्सा है-मेरे जैसी अति संवेदनशील महिला का। प्रिकॉशन इज़ बेटर देन क्योर,,,ये मेरा मानना है।
पहली संतान बेटी के आगमन से पूर्व मैंने पर्याप्त केल्शियम डायट का अनुसरण किया। दूध फल दवाइयाँ आदि लिए।
लेकिन हुआ क्या कि बेटी जन्म के साथ ही एक पतला सा दाँत लेकर आई। लोगों की बातें तो बस,,,,डॉ ने धीरे से उसे निकाल दिया।
अब जब बेटा आने वाला था तब भी वही फॉलो किया। बेटा स्वस्थ हुआ।
किन्तु एक वर्ष बाद से ही उसके फ्रेक्चर्स का सिलसिला शुरू। थोड़ा ज़्यादा ही नटखट था। प्याज़ रखे थे, उन पर खड़ा हो गया और पैर में,
,,,। ठीक होने पर पैर नहीं मुड़ने की वज़ह से पेडल वाली जीप चलवाते। एक दिन साहब दोस्त को बिठा पीछे से धकाने लगे। हो गया दूसरे पैर में फ्रेक्चर।केल्शियम की कमी भी नहीं,अच्छा खासा हेल्दी। फिर भी ,,,,
एक बार और फिर ऐसे ही छलाङ्गे लगाने में।
बारह वर्ष का था तब मामा के पीछे सायकल पर बैठा और पैर पहिए में फसा लिया। टूटना ही था।
पंद्रह साल का होगा,,,,
किसी के यहाँ गए।बाहर वाले मेन गेट पर झूलने लगा और कॉलर बोन क्रैक। फिर गया दादी के पास,किसी पड़ोसी की बाइक से गिरा ,हाथ टूटा।
शादी ,नौकरी के बाद भी दो बार पैर और दो बार हाथ तोड़ चुका है। हाँ केल्शियम की भरपूर पूर्ति अभी भी करवाती हूँ।
सरला मेहता