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आओ मेरे जीवन साथी - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

आओ मेरे जीवन साथी

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आओ मेरे जीवन साथी...

आओ मेरे जीवन साथी
साथ रहें हम यूँ ही हंसते
तब-तक सच में, जब-तक
इस जीवन की डोर जुड़ी है
और प्रेम अपना जीवित है
मन में हम दोनों के हरदम......
यद्यपि सच है जिम्मेदारी
झंझावातें इस जीवन की
आ रोकेंगी बन दुर्बलता
राह हमारी और तुम्हारी
और मधुरता में कड़वाहट
लायेगी बनकर टकराहट
लेकिन हम होंगे न विचलित
क्योंकि यह विश्वास अटल है
कि हम दोनों साथ रहेंगे
हर सुख-दुख में बाहें पकड़े
क्योंकि अपना प्रेम खरा है ......
नहीं बनावट कोई इसमें
नहीं सजावट कोई इसमें
यह बिल्कुल सीधा-साधा है
लेकिन इसकी आभा मेरे
अन्तर्मन में बसी हुई है
जिसमें महक तुम्हारे मन की
और कर्म की शोभा ज्यादा
आकर्षित करती रहती है
तुम भी तो कहती हो मुझसे
ऐसे ही कुछ अलग तरह से
यही तो प्रिय है हम दोनों को
यही कामना भी है मन की
साथ-साथ यूँ चलते-चलते
जीवन का यह क्षण कट जाए
और प्रेम सम्बन्ध मधुर यह
साथ रहे 'राही' न बंट जाए....

डाॅ. राजेन्द्र सिंह "राही"
बस्ती उ. प्र.

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