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रोष - Sandeep Chobara (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

रोष

  • 219
  • 2 Min Read

#रोष

ए-दोस्त...
हम इतने तो बुरे नहीं थे
जो हम पर तुम
इतना रोष जता रहे हो.....

हम तो दिल से भी
तुमसे दूर नहीं थे
जो इतना दूर कर दिया है हमें.....

तुम्हें हक था हम पर
रोष करने का
लेकिन बेवजह
हम पर इतना
रोष जताना क्या सही था......

देखना दोस्त....
एक दिन
समय बदलेगा हमारा भी
तब तुम सोचोगे
कि व्यर्थ ही मैंने
तुम पर रोष किया था.....!!

संदीप चौबारा
फतेहाबाद
22/11/2020

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Sarla Mehta

Sarla Mehta 4 years ago

बढ़िया भाई

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

अच्छी रचना

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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चालाकचतुर बावलागेला आदमी
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