कविताअतुकांत कविता
#रोष
ए-दोस्त...
हम इतने तो बुरे नहीं थे
जो हम पर तुम
इतना रोष जता रहे हो.....
हम तो दिल से भी
तुमसे दूर नहीं थे
जो इतना दूर कर दिया है हमें.....
तुम्हें हक था हम पर
रोष करने का
लेकिन बेवजह
हम पर इतना
रोष जताना क्या सही था......
देखना दोस्त....
एक दिन
समय बदलेगा हमारा भी
तब तुम सोचोगे
कि व्यर्थ ही मैंने
तुम पर रोष किया था.....!!
संदीप चौबारा
फतेहाबाद
22/11/2020