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"एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग-2) - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

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"एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग-2)

  • 781
  • 18 Min Read

शीर्षक : " एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग -2)

आसमान पर छाये काले मेघों और वातावरण में फैली ठंडक के एहसास ने, मन मे भौंदू राम की प्रेम कहानी के लिए असीम जिज्ञासा उत्पन्न कर दी!

मैं न चाहते हुये भी सरु की डायरी पढ़ने के लिए आतुर हो उठी,
उसके हर शब्द में प्रेम का समंदर जान पड़ता था, मैं भाव विभोर हो उसमे गोते लगाने लगी..!

आज हम सभी दोस्तों पर मौसम की मस्ती का सुरूर छाया था! बारिश की बौछार संग ठंडी हवाओं के झोंके में मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू, गजब का माहौल बनाये थी! इस एक क्षण को और खुशनुमा बनाने के लिये, मेरे दोस्तों ने पिंटू अंकल की चाय पीने की इच्छा जाहिर की!
हम बारिश की बूंदों संग अठखेलियाँ करते, पिंटू अंकल के टी एंड कॉफ़ी हाउस तक जा पहुचे!

वहाँ बड़े से छाते के नीचे एक छोटी टेबल और बैठने के लिए प्लास्टिक की खूबसूरत कुर्सियां रखी थी !
हम सभी दोस्त वही बैठ गये, बारिश की बूंदों के बीच कॉफी पीने का मज़ा ही अलग आ रहा था!
अभी कॉफी की पहली ही चुस्की ली थी, कि मेरी नज़र सामने बस स्टैंड पर खुद को बारिश से बचाती, उस गुलाबी सूट वाली लड़की पर पड़ी, जिसका चेहरा उसकी छतरी के कारण आधा ढका हुआ था !
मुझे उसका चेहरा स्पष्ट रूप से दिखाई नही दे पा रहा था ! पर उसकी दूधिया रंगत पर गुलाबी होंठो के नीचे काले तिल से इतना भास होने लगा था कि वो असीम सौन्दर्य की स्वामिनी थी!

वो तेज हवा के झोंके से आते बार बार अपनी काली लटो को अपने चेहरे से हटाने का प्रयास करती, तो कभी अचानक आते तेज हवा से हिलती अपनी छतरी को संभालने की कोशिश में खुद भी हवा के संग लहरा जाती..!

उसको ऐसी परिस्थिति में देख, मेरे होंठो पर अनायास ही मुस्कान आ गई !
शायद... उस लड़की के प्रति हृदय में प्रेम स्पंदन होने लगा था!

मैं कुछ देर तक उसे अपलक निहारता रहा !
तब तक कॉफ़ी ठंडी हो चुकी थी..! मैंने एक ही घुट में अपनी कॉफ़ी खत्म की और अपने दिल के आदेश पर उस लड़की से परिचय बढ़ाने का फैसला कर, उसके समीप जा कर खड़ा हो गया!
अभी मैं खुद को तैयार कर ही रहा था कि दिमाग ने विचार का जोरदार थप्पड़ जड़ दिया! लड़की है अगर इसने गलत लड़का समझ कर पिटवा दिया, तो.. इज़्ज़त का कचरा हो जाएगा!
पर दिल जैसे ज़िद पर अड़ गया मैं तो उसका नाम जानकर ही रहुँगा!

अब दिमाग को समझा कर, दिल को दिलासा देते हुए, मैं उससे मुख़ातिब होने ही वाला था कि एक ऑटो रिक्शा आकर रुका और वो उसमे बैठ कर चली गई!

अब दिल के साथ मैं भी मन मसोस कर रह गया!
मैं उस बारिश में पूर्णतया भीग चुका था परन्तु दिल उसके एक बूंद प्यार की बरसात की चाह में प्यासा ही रह गया!

अब रोज़ ही पिंटू अंकल की चाय एंड कॉफी हाऊस पर जाना मेरी दिनचर्या में शामिल हो गया! सिर्फ अपने उस अनजाने बारिश वाले प्यार की तलाश में!

दिन पर दिन बीत गये और ये दिन अब महीनों में तब्दील होने लगे थे! दिल संग मैं भी निराश हो चला था...!

पर एक दिन फिर आसमान पर काले बादलों की टोली ने हुड़दंग मचाया, रह रह कर बिजली भी कड़क रही थी! बारिश की बूंदें जम कर बरस रही थी!
और तभी दूर बारिश की चमकदार बूंदों के बीच, सफेद लिबास में अपनी छतरी को संभालती हुई, मुझे, "मेरा बारिश वाला प्यार" आता दिखाई दिया!

आज भी मैं उसके चेहरे को स्पष्ट नही देख पा रहा था! शायद वो भी छतरी के कारण देख नही पा रही थी, वो मेरे काफी नज़दीक आ चुकी थी, तभी आसमान में बिजली कौंध गई !
अचानक बिजली की गर्जन से वो डर सी गई और उसके हाथ से छतरी छूट गई
छतरी को संभालने के प्रयास मे वो खुद को भी नही संभाल पाई और उसका माथा मेरे सीने से टकरा गया !
मेरा रोम-रोम उसकी छुवन से पुल्कित हो कर काँपने लगा था!
उसने अपना सर उठा कर मेरी ओर देखना चाहा तो एक हल्की चीख के साथ फिर से उसका सर मेरे सीने से जा लगा!
उसकी चीख से ही मुझे अंदाजा हो गया था, उसके गीले लम्बे बाल मेरे जैकेट की चेन में उलझ गये थे!
मेरी हृदय गति तेज हो गई थी क्योंकि मेरा बारिश वाला प्यार आनजाने में ही सही मेरे दिल को अपने एहसास से पूरी तरह भिगो रहा था.....
क्रमशः

©️पूनम बागड़िया "पुनीत"
(नई दिल्ली)
स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित रचना

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Kavi Ranveer

Kavi Ranveer 4 years ago

वाहहह

Poonam Bagadia4 years ago

शुक्रिया....

दादी की परी
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