Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
आवाहन करती है ये वसुंधरा - Rajesh Kr. verma Mridul (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

आवाहन करती है ये वसुंधरा

  • 283
  • 3 Min Read

आवाहन करती है ये वसुंधरा
_________________________

आवाहन करती है ये वसुंधरा अभी
उत्तरों में यदि तुम्हारा मौन होगा

अगर ना बचाओगे इस जहां पर वृक्ष
सोच लो इस धरा पर फिर कौन होगा

तिल -तिल में तड़प कर मारे जाओगे
जब इस वसुधा पर समीर ना होगा

वृक्ष बिना वीरान हो जाएगी ये जीवन
तब ना जल , जंगल और कल होगा

आवाहन करती है ये धरा अब अगर
कर्मो में यदि तुम्हारा सही पहल होगा

हरा भरा हो सजीव, वनो से भरेंगी धरा
तेरे कर्मों पर ही हांथो में "कल" होगा

अगर बचाओगे प्रकृतिक उपहारो को
भु पर तब जीवन का सुंदर कल होगा
-------------------------------------------
@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'
गिरिडीह (झारखण्ड)
📲 7979718193

207527_1614143414.jpg
user-image
Rajesh Kr. verma Mridul

Rajesh Kr. verma Mridul 4 years ago

बहुत-बहुत आभार मैम

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg