कविताअतुकांत कविता
अस्मिता
हर उम्र के पड़ाव पर
नारी घर की अस्मिता
इज्जत बुजुर्ग हैं कहे
या नाक खानदान की
पैमाना अस्मिता का है
संस्कारी सौम्य सुशील
हाव-भाव बोल पोषाक
भारत की है ये सभ्यता
छुअन-अत्याचार विकास
अश्लीलता-हो रहा प्रसार
सनातन परंपरा का ह्रास
हाँ,अस्मिता का अपमान
उन्नत संज्ञानी इस युग में
खतरा मंडराए इज्जत पे
बचपन से लेकर पचपन
हैं बलात्कार की शिकार
अख़बारों की ताज़ा ख़बरें
दरिंदगी भरी कई कहानी
लुटती अस्मत है प्रति पल
कुचल रहे मासूम कलियाँ
घर या बाहर सरे आम भी
असुरक्षित हमारी बेटियाँ
पाठ नैतिकता का पढ़ाएं
क्यूँ ना बिगड़ैल बेटों को?
सरला मेहता