कविताअन्य
प्रकाश
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चाहिए प्रकाश इस धरा को,
अंधेरा मिटानें को,
ज्ञान का अलख जलाने को,
दूर कहीं उजला नौका,
जीवन तर जाने को,
चाहिए नियति उच्च कुलीन की,
तिरियाचरित्र मिटानें को,
मति न धरे भरम स्वरूप,
मानवता को अपनाने को,
अज्ञानी,
ज्ञानी न समझे,
विश्वगुरू बन जाने को,
करो ज्ञान अर्जित वीर तुम,
धरा की प्यास बुझाने को...
✍️ गौरव शुक्ला'अतुल'©