कविताअतुकांत कविता
26|11 के शहीदों को
समर्पित
तेरी गोदी में माँ सो जावाँ
जिस माटी में मैं बड़ा हुआ
लटपट हो मुझको बल मिला
वजूद मेरा आबाद हुआ
उस माटी में मैं मिल जावाँ
वन उपवन बगिया में खिल जावाँ
तेरी गोदी में माँ सो जावाँ,,,
जिस नदिया ने नहलाया
मेरे बचपन को बहलाया
मेरे सपनों को सहलाया
गंगा जल मैं बन जावाँ
माँ तेरे आँचल पर मैं बह जावाँ
तेरी गोदी,, में माँ,,,सो जावाँ
जिन खेतों में हल जोता
बाबा संग बीजों को बोता
पीपल की छैया में सोता
उन खेतों में फिर लहरावाँ
धानी चूनर माँ धरा को मैं पहरावाँ
तेरी गोदी में,,,माँ,,,सो जावाँ
जिन शिखरों को मैं लांघा
हर दुश्मन को मैं काटा
अंगारा बनके दहलाया
तिरंगा फिर अपना लहरावाँ
मेरे लहू से हिंदुस्तां मैं लिख जावाँ
तेरी गोदी में,,,माँ,,मैं सो जावाँ
सरला मेहता