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झूठ देख इंकार न कर - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कवितागजल

झूठ देख इंकार न कर

  • 183
  • 3 Min Read

झूठ देख इंकार न कर...

झूठ देख इंकार न कर
बेमतलब टकरार न कर...

हो संवेदनशील नहीं
उत्तम वह सरकार न कर...

लूट रहे है जो जन को
उनपे और विचार न कर...

गर ढोंगी खद्दरधारी
उनका कभी प्रचार न कर...

जिनका ऊंचा सिंहासन
घर उनके दरबार न कर...

करता जो विश्वास अटल
कभी पीठ पर वार न कर...

भले बने दुश्मन दुनियां
मित्र कभी मक्कार न कर...

यदि चद्दर छोटा तन का
फिर लम्बा आकार न कर...

दुश्मन होता है दुश्मन
उसको तू प्यार न कर....

डाॅ. राजेन्द्र सिंह 'राही'
(बस्ती उ. प्र.)

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