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सशक्त निर्णय - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेरणादायक

सशक्त निर्णय

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  • 11 Min Read

सशक्त निर्णय -------
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ये भी इन्टर नैट की क्या दुनिया है। पता ही नहीं चलता कब किस का मित्रता का निमंन्त्रण आ जाये । मनु सोच रही थी । वह तो बहुत सोच समझ कर मित्रता सूची में जोड़ती थी पर ये प्रतुल कब और कैसे उसके साथ जुड़ गया ।
एक रात वह अपना लैपटॉप बन्द ही कर रही थी सोचा आज के मेल चैक कर लूं पता ना कोई भारत से जरूरी मेल परिवार का ना आया हो । मां पापा से व्यस्तता के कारण बात नहीं हो पा रही थी । आज वह बहुत थकी हुई थी । ये क्या एक मेल किसी प्रतुल नाम से था । उत्सुकता हुई लिखा था कृपया what's app नं. दें ।
फेसबुक पर जुड़ा था पर उसने सोचा कोई जरूरी बात है या किसी परेशानी में है। उसने नं. दे दिया । ये क्या तुरन्त मैसेज आप बहुत सुन्दर हो फेसबुक पर नहीं लिख सकता था । मनु को बहुत गुस्सा आया लिखा ये क्या बदतमीजी है। प्रतुल ने लिखा गुस्सा नहीं सेहत के लिये नुकसान दायक होता है। मनु ने लैपटॉप बन्द कर दिया ।
सुबह उसने जब लैपटॉप खोला बहुत मैसेज टपक लिये गुस्सा तो बहुत आया पर जब पढ़े तब पता लगा कि महाशय विदेश में उसकी तरह अकेले हैं और अपने को असहज महसूस करते हैं। मनु ने उसे उत्तर दिये और सिलसिला चलने लगा । वीडियो कालिंग पर अच्छा खासा स्मार्टी था । मनु तो थी बड़ी सुन्दर । वह उसकी बहुत तारीफ करता और पता नहीं कब प्यार परवान चढ गया ।
मनु के मां पापा शादी के लिये जोर डाल रहे थे कि अब अपने देश आजाओ हम भी अपने दायित्व से मुक्त हो । मनु ने सोच लिया कि आज प्रतुल से मिलेगी जरूर उसके घर जाकर क्योंकि आज वह उससे शादी के लिये बात करेगी । अभी तो केवल बाहर ही कम समय के लिये मुलाकात हुई हैं । हां उसके घर का पता जरूर था
पास में । वह बिना बताये उसके घर पर पहुँची । जब डोर बैल बजाई तब किसी अग्रेंज लड़की ने दरवाजा खोला । उसने कहा प्रतुल से मिलना है वह भीतर ले गयी वहाँ प्रतुल तो नहीं था पर एक फोटो लगी थी प्रतुल , एक छोटा बच्चा और एक महिला का । उसने उस महिला सर्वेन्ट से पूछा उसने कहा इंडिया में साहब का पत्नी बच्चा है। मनु तो पागल सी होगयी और तुरन्त वहाँ से आंखों में आंसू लेकर निकल आई । सोचने लगी क्या मै प्रतुल के लिये टाइम पास थी । उसने तुरन्त पापा को फोन लगा कर कहा पापा मै आ रही हूँ आप अपना दायित्व निभा सकते हो ।‌ ये उसका तुरन्त निर्णय था । प्रतुल को जब घर आकर पता लगा उसने बहुत कोशिश की बात करने की पर मनु दोबारा उस रास्ते पर जाना नहीं चाहती थी ।
स्व रचित
डा. मधु आंधीवाल

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दादी की परी
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