कहानीअन्य
छठ पर्व
प्रकृति की है छटा निराली,
साक्षात सूर्यदेव ने ,
दर्शन दे डाली,
चार दिनों का यह अनुष्ठान,
है अपने सनातन ,
धर्म की पहचान
सु मधुर गीतों से,
भक्तिमय माहौल बना ,
रंग बिरंगे दीपों से,
सारा नदी तालाब सजा ,
छठ पर्व की बात निराली,
छा गई चहुं ओर खुशहाली,
हर नहर और पोखरा पर,
हो रही छठ की तैयारी।
यह पर्व है बड़ा अनूठा,
सारा परिवार निष्ठा से जुटा,
मां दादी ठेकुआ पकावे,
फल फलहरी घर में आवे।
स्वरचित मौलिक रचना,
अनुपमा (अनु)