कहानीप्रेरणादायकलघुकथा
मैचिंग मैचिंग
सादगी से रहने वाली अनामिका जब ब्याह कर ससुराल आती है,सासु माँ के उलाहने सुनते सुनते परेशान हो जाती है,"भई हमारी बहु रानी को तो धूल मिट्टी वाले रंग पसन्द हैं।" ऊपर से पति देव का फरमान,"आज आसमानी रंग की साड़ी पहनना,मूवी के लिए चलना है। मैंने भी उसी रंग का टीशर्ट निकाला है।" पति प्रबोध के लाख कहने पर भी वह अपने मन का ही करती ,सोचती," हे भगवान स्कूल यूनिफॉर्म में जाना है क्या ?"
एक दिन प्रबोध अपनी ढेरों ड्रेसेस यहीं छोड़ संसार से कूच कर जाते हैं।अनामिका बेटी को छाती से चिपटाए पछताती है," काश ,उनका कहा मान लेती। एक बार तो,,,,,,।"उसकी दिली ख्वाइश है कि पति के शव पर डाली गई गुलाबी शॉल से मैचिंग करती साड़ी पहन अंतिम विदाई दे।पर लोगो के तानों के भय से उसकी इच्छा सिसकियों में विलीन हो गई।
आज अनामिका अपनी बेटी के परिवार के साथ खुश है। अपनी अधूरी आस की पूर्ति वह बेटी के परिवार के सहयोग से करती है।जब भी पूरा परिवार कहीं जाता ,सब एक ही रंगों में दिखाई देते हैं।
लोग अनायास कह उठते हैं ,
" देखो मैचिंग मैचिंग फेमिली जा रही है।"
सरला मेहता