कविताअतुकांत कविता
तुमने मुझे
जब मैं पैदा हुई थी,
तो सिर्फ इंसान थी।
दुनिया ने मुझे फिर,
कई टुकड़ों में, कई,
हिस्सों में बाँट दिया।
किसी ने कहा हिंदू,
किसी ने मुसलमान ,
किसी ने कहा सिक्ख,
किसी ने ईसाई मुझको,
तुमने मुझे मुझे धर्म के,
नाम पर बाँट दिया।
मुझको इंसान कब ,
रहने दिया तुमने।
ए दुनिया वालों,
तुमने तो मुझको,
तमाशा बना दिया।
धर्म के नाम पर तुमने,
लोगों के दिलों को,
हिस्सों में बाँट दिया।
इंसान को, इंसान का ,
दुश्मन बनाकर तुमने।
इस दुनिया में सबकों,
नफरत को बाँट दिया।
राजेश्वरी जोशी,
उत्तराखंड