लेखआलेख
#विषय. ससुराल में स्वागत
#विधा. संस्मरण
मेरे भाई के शादी के करीब दो महीने बाद उनके
ससुराल से हम सभी का खाने पर बुलावा आया ।
हम सब न्योता फल मिठाई वगैरह लेकर गए।
उन्होंने भी दिल खोलकर स्वागत किया। हंसी ठिठोली हुई, साली सरहद समधी समधन के साथ समय बीत
रहा था।
फिर खाने का वक्त भी आया। नाना प्रकार के व्यंजन बनाए गए थे। उन्होंने खातिरदारी में कोई कसर नहीं छोड़ी ।सब खाना परोस रहे थे तभी दही बड़ा भी दिया गया।मेरे भाई ने जैसे ही दही बड़ा को एक बार खाया, उसने बड़ा अजीब सा मुंह बनाया।
मैंने उसे देखा उसने बिना चबाए सारा दही बड़ा निगल गया और फट से पानी पीया।
फिर परोसने वालों ने देखा कि भाई के थाली में दही बङा नही था। उसके ससुर ने कहा जल्दी से दमाद जी के थाली में और दही बङा डालो। भाई का चेहरा देखने लायक था,बेचारा को खराब लगा तो जल्दी से खा लेता था, और वही परोसा जा रहा था।
उसके बाद जब वो ससुराल जाता था, और कोई पुछे दही बङा भी बना है पाहुन,आपको बहुत अच्छा लगा था ना।
उसका चेहरा का जो रंग बदलता है वो हास्यास्पद लगता है।
स्वरचित
सविता सिंह मीरा
झारखंड
जमशेदपुर