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ट्रैन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरियंस - Vandana Chauhan (Sahitya Arpan)

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ट्रैन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरियंस

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  • 12 Min Read

संस्मरण :
यह करीब सन 2001 की बात है ,सर्द जाड़ों के दिन थे मैं अपने कॉलेज की छुट्टी होने पर 4:30 बजे के करीब बस स्टॉप पर पहुंची लगभग आधा घंटा इंतजार करने के बाद पता चला कि शादियों की बुकिंग होने के कारण आज बसें इस रूट पर नहीं चलेंगी मन कुछ घबराया ,नए शहर में अकेली, नए रास्तों से अनजान थी। पास के बूथ पर जाकर, घर फोन मिलाया तो सासू मां ने कहा ,"रेलवे स्टेशन चली जाओ, वहां से ट्रेन पकड़ लेना ।""ऑटो रिक्शा कर मैं किसी तरह रेलवे स्टेशन पहुंच गई पर पहली बार स्टेशन पर गई तो मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि किधर जाऊं ।कुछ लोगों से गंतव्य की जानकारी लेने की कोशिश की, कोई कुछ बोलता कोई कुछ बताता। फिर एक भले लड़के ने मेरी मदद की और मुझे ट्रेन में ले जाकर बिठा दिया वह मुझे भला तो बहुत बाद में लगा क्योंकि तब तो उसकी प्रश्नों से मैं भीतर ही भीतर बहुत डर गई थी और ऊपर से अपने आपको दबंग दिखाने का प्रयत्न कर रही थी ,"आपका कोई बॉयफ्रेंड है क्या?"" उसका पहला सवाल । मैंने उत्तर दिया, नहीं। आप से मतलब, मुझे नहीं पूछना आप से ट्रेन के बारे में ।अरे! नहीं नहीं डरिए मत ,मैंने तो यूं ही पूछ लिया था। चलिए मैं आपको ट्रेन की छोटी लाइन तक पहुंचा दूंगा ।बाकी सब इतने व्यस्त थे कि मैं उसकी मदद लेने को विवश थी। फिर उसने डराने वाले कई प्रश्न पूछ कर मुझे परेशान किया पर मैं उसके अटपटे सवालों का डांट कर जवाब देती रही व उससे 5 मीटर की दूरी पर चलती रही क्योंकि ट्रेन का टाइम होने ही वाला था और कोई दूसरा रास्ता मुझे सूझ न रह था । उसने मुझे ट्रेन तक पहुंचा दिया मैंने उसे धन्यवाद दिया और डिब्बे में चढ़ गई ।उसने कहा ,"दीदी आराम से जाना रास्ते में सोना मत ।मैं पहले ही समझ गया था आप इस शहर में अजनबी हैं तभी आपके डांटने के बाद भी आपके साथ चलता रहा ।"ओह्ह कितना गलत सोचती रही मैं उसके बारे में ।कुछ देर सोच में डूबी रही ।
ट्रेन चल दी मेरा गंतव्य आने से पहले ही डिब्बे से सारी सवारी उतर गयीं । एक शराबी व जीआरपी का एक सिपाही रह गया। अंधेरा घिरने लगा था ,वह शराबी मुझ पर अश्लील टिप्पणी करने लगा। मैंने उसे तेजी से डांटा व दूसरी साइड बैठ गई ।जीआरपी वाले व्यक्ति को बोला, यह शराबी बदतमीजी कर रहा है ।वह बहुत भला व्यक्ति था उसने शराबी को बहुत डांटा और और उसे पुलिस में पकड़ाने की धमकी दी ।वह रोने गिड़गिड़ाने लगा ,फिर शांत होकर कोने में बैठ गया ।
मेरा गंतव्य आने पर जीआरपी के सिपाही ने मुझे सकुशल उतरने में मदद की।
दुनिया में अच्छे और बुरे दोनों तरीके के लोग होते हैं अगर हमें कहीं बुरे अनुभव हो तो परेशान ना हो अधिक अच्छा भी हमारे आस पास ही मिलेगा।

स्वरचित/मौलिक
वन्दना चौहान
आगरा(उत्तर प्रदेश)

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

कभी न भूलने वाला.. बहुत रोमांचक संस्मरण..!

Vandana Chauhan4 years ago

आपका हार्दिक आभार

समीक्षा
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