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इंसाफ़ होता है - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

इंसाफ़ होता है

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इन्साफ होता है

राहुल और अंजलि...एक ही मोहल्ले के रहवासी ,एक साथ ही पले बढे। दोनो को एक ही कंपनी में नौकरी भी मिल गई।एक दिल दो जान तो थे ही,अंधे को क्या चाहिए दो आँखें।दोनों ने जीवन भर साथ निभाने का वादा किया।किन्तु अंजलि के रूढ़िवादी माँ पापा विजातीय राहुल को अपना दामाद कैसे बना ले ?
अंजलि के लिए सजातीय योग्य वर खोज लिया गया और माँ की बीमारी का वास्ता देकर उसे चेतन के साथ विदा कर दिया।परन्तु यह क्या ? चेतन ने पहली रात खुलासा कर दिया,"मैंने यह शादी अपने माता पिता के लिए की है। मुझसे कोई आशा मत रखना।"अंजलि अपना मोगरे का गजरा तोड़ते हुए चेतन पर बरस पड़ी,"तुम्हें किसने हक दिया मेरे अरमानों के साथ खेलने का।"
वह तुरंत छत पर जा राहुल को फोन लगाती है,"रा हु ल,तुम कहाँ हो ? अंजलि तुम्हारी थी और तुम्हारी ही रहेगी।" अगले दिन अपना सूटकेस उठा दो दिन के ससुर जी को कहती है," मुझे किस अपराध की सज़ा दी।फिर भी मैं आपकी शुक्रगुज़ार हूँ कि जो भी हुआ अच्छा हुआ।"
सरला मेहता

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

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