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मुनिया का जवाब नहीं - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

मुनिया का जवाब नहीं

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" मुनिया का जवाब नहीं "

आवश्यक सामान की सूची बनाने बैठी माँ अनुभा एक एक वस्तु का नाम गिना रही है ताकि कुछ छूट ना जाए, " मोमबत्तियां गुब्बारे डिस्पोजेबल प्लेट्स,,," नीरजा बीच में ही टोक देती है, " ना बाबा ना,हम ऐसे गिलास व प्लेट्स नहीं लाएंगे,हमारी मेंम कहती हैं ,ये पर्यावरण को नुक्सान पंहुचाते हैं।"अनुभा हाथ जोड़ते हुए समझाती है," अच्छा बेबी,हमारे स्टील वाले ,,अब तो ठीक।" नीरजा ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा,
"और हां पानी भी बर्बाद नहीं करेंगे,पीने को आधा ग्लास ही भरेंगे।वो नीना मेरी फ्रेंड अपना आरो वाला पानी साथ लाती है।मम्मा
हमारा तो फिल्टर ही ठीक है।मेम कहती है आरो से पानी बर्बाद होता है। चलो पार्टी भी
छत पर ही करेंगे,मेरी कई फ्रेंड्स को ए सी की आदत है।भैया ए सी तो खराब गैस छोड़ता है,पापा कह रहे था ना ।"
इसी बीच दादी ने खांसते हुए याद दिलाया," और मुनिया रानी जन्मदिन की रिटर्न
गिफ्ट में क्या दोगी? " पोती झट से बोल पड़ी,"आपके वो नन्हें नन्हें पौधे किस दिन काम आएँगे? पता भी है आपको पेड़ों का महत्व। जितने ज्यादा पेड़
उतनी ही बारिश ,ऐसा ही हमारी बुक में लिखा है । यह कहते हुए मुनिया चहक उठी," फिर तो नाना के गांव वाली नदी लबालब भर जाएगी।छुट्टियों में खूब छपाके मारेंगे,मामा से तैरना भी सीख जाएगें।" दादी ने शाबाशी दी," अरे वाह, मेरी मुनिया रानी का तो कोई जवाब नहीं।"
सरला मेहता
मौलिक

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दादी की परी
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