कविताअतुकांत कविता
मां अहोई की वंदना
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अहोई अष्टमी का त्योहार।
सूखी रहे सबका संतान।
हाथ जोड़ विनती करूं मैया।
कृपा करना अपरम्पार।
सबकी गोदी भरी रहे।
सब मैया तेरे संतान।
बेटा बेटी एक समान।
कोई न संतति से वंचित हो।
संस्कारी सबकी संतति हो।
कृपा करना मातु अहोई।
अहित जगत में कभी ना होई।
आंचल किसी का रहे ना खाली!!
मां करना सबकी रखवाली।
सारे जग का कल्याण करो मां
कृपा एक समान करो मां।
अवगुण मैया सबकी बिसारो।
नाव पड़ी मझधार में तारो।।
सबका बेड़ा कर दो पार।
अहोई मां तेरी कृपा अपार।।
मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश