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लिखो तुम - DrSarika Rawal (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

लिखो तुम

  • 243
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प्रेम, नफरत , धोखे पर मत लिखो तुम,
लिखना है तो आपसी समझ पर लिखो ,
लिख दो उस किस्से को जो देता खुशी आज भी,

भावनाओं से बना दिल में बसा हुआ।
उन आपसी बातों को लिखो तुम,
जिनसे आज भी तुम जुड़े हो कैसे भी,

उन अहसासों को लिखो तुम जी भर
जिनसे जुदा हुए न कभी ,कैसे भी,
यादों को तुम उतारो कागज पर भी ,

छोटी छोटी खुशियों को लिखो तुम,
उन ख्वाबो को शब्द में ढाल दो तुम,
जो बसे रोम रोम में है तुम्हारे आज भी ,

खिलखिलाते बचपन को लिखो आज,
रंगीन तितलियों के पीछे भागते बचपन को लिखो ,
देख उनको खुश तुम लिखो उनकी खुशी भी,

प्रेम लिखना आसान है सभी के लिए,
भावनाओं को रंगों से उतारो केनवास पर ,
साकार रंगीन रूप दे कर देखो तुम भी।

डॉ सारिका औदिच्य

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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

वाह वाह

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

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