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चांद - Yasmeen 1877 (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

चांद

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# चांद
ऐ खुदा क्या खूब बनाया चांद को, बिखेर शीतल चांदनी लुभाता मन को.
दिखाकर आईने में चांद दुलारती और लाडले को सुनाती चंदा मामा की कहानियाँ माँ ।
आशिक को दिखता शबाब चेहरे पर महबूबा के ज्यों पूनम का चांद,
करता है कहीं कोई बंदगी और कहीं हो रही आरती सुहाग की देखकर चांद को ।
ईद भी तेरे नाम और करवा भी तेरे नाम,हर दिल पर है राज बस तेरा,
दिखाकर सौलह कलाएं अपनी पूर्णता साबित की तूने अगर ढलकर फना हो जाना एक दिन ये भी हुनर सिखाया है तूने । ।

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