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मै हंसती खेलती चहचहाया करती थी - Priyanka Tripathi (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

मै हंसती खेलती चहचहाया करती थी

  • 183
  • 5 Min Read

मै हंसती,खेलती, चहचहाया करती थी

मै हंसती,खेलती, चहचहाया करती थी
दर्द को सीने मे दफनाकर हरदम मुस्कुराया करती
थी।

हमने तुम संग प्रीत लगाई ,
प्रीत संग ही रीत नीभाई,
रीत ने जो हमको दर्द दिया,
वो दर्द तुम्ही से साझा किया,
पर तुम तो ठहरे सौदागर
दर्द से ही सौदा कर डाला।।

मै हंसती,खेलती, चहचहाया करती थी
दर्द को सीने मे दफनाकर हरदम मुस्कुराया करती थी।

मन के मन को अपना माना,
मन के अपनो को अपना समझा,
मन के धागों से उनको बांधा,
मन से हर रश्मो को निभाया,
रिश्तों की रीत भी देखो,
पल- पल छलते रहे सदा ही,
सम्बन्धों की डोर से खेल रहे वो खेला।।

मै हंसती,खेलती, चहचहाया करती थी
दर्द को सीने मे दफनाकर हरदम मुस्कुराया करती थी।

जब मीत को तुमने अपना समझा,
मीत कही भी नजर न आया,
जीन सम्बन्धों ने तुमको बांधा,
वो बन्धन कही भी नजर न आया,
दर्द तो मेरा अपना था,
दर्द के संग हो चली सदा को।।

प्रियकां पान्डेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तरप्रदेश

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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

वाह वाह

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद आन्टी??

प्रपोजल
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