कविताअतुकांत कविता
# चित्र
चित्र लेखन प्रतियोगिता
कहाँ खो गया मेरा प्यार
चाँद पूनो का पाया मैंने
उतरा मेरे अंगने में जब
चाँदनी मेरी चूनर अनूठी
कहाँ ढूंडू मेरे वो अरमान
रग रग में समाया खुमार
कहाँ खो गया मेरा प्यार
तेरे ख़ातिर छोड़ा जग को
हमसफ़र है माना तुझको
क़ायनात इस रंगमंच पर
इक तू ही बचा है किरदार
सारा रूठ गया है संसार कहाँ खो गया मेरा प्यार
दृगजल बूंदें सजना ठहरी
बरस बरस आँखें थाकी
याद में कई मैं राते जागी
आकर अंजुरी तू भर ले
कब पाऊँ अपना मैं यार
कहाँ खो गया मेरा प्यार
यूँ ही बाट जोहूँगी हमदम
दिल में समाकर सारे गम
निशदिन तेरी याद संजोए
अश्रुबूंद कहीं झर न जाए
मौसम की नहीं है दरकार
कहाँ खो गया मेरा प्यार
सरला मेहता