कवितागजल
आलू का तो हाल न पूछो...
आलू का तो हाल न पूछो
टेढ़ी कितनी चाल न पूछो...
प्याज, टमाटर आँखें ताने
पीली क्यों है दाल न पूछो....
मिरिच, मसाला, तेल, लगौना
सबका फैला जाल न पूछो...
लूट रहे है जन को तनकर
निर्भय आज दलाल न पूछो...
सूख रहा हैं उनका भी अब
फूला जिनका गाल न पूछो.....
देख बेरुखी साहब जी का
मन में हुआ मलाल न पूछो...
कोरोना के डर से आखिर
सूना क्यों है साल न पूछो....
बुरा लगेगा उनको तय है
जोखिम भरा सवाल न पूछो...
डाॅ. राजेन्द्र सिंह 'राही'
दिनांक 31-10-2020