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नमन वीर जवानों को - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

नमन वीर जवानों को

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नमन वीर जवानो को---
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भयंकर बर्फीला तूफान इतनी धुन्ध आगे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था । देश के वीर जवानों का होंसला जो कभी कम नहीं होता । अपने टैन्ट में लेटे ही थे कि लगा बाहर दूर से हल्की हल्की आवाजे आ रही हैं । बस्ती नीचे उतर कर थी फिर ये कैसी आवाजें लग रहा था किसी लोहे को काटा जा रहा हो ।
एक ने दोनों को आवाज दी और पूछा कि आवाजें सुनाई दे रही हैं या नहीं । दोनों ने कहा हां और तीनों अपने अधिकारियों और अन्य जवानो को बिना बताये चल दिये उस ठक ठक की आवाज के पीछे पीछे ।
मौसम बाहर बहुत खराब था ।चलते चलते दिखाई दिया कि कुछ लोग रेल की पटरी उखाड़ने पर लगे हैं। वह तीनों कुछ दूर रुक कर उनकी बात सुनने लगे । बातों सुनने से पता लगा कि वह पड़ोसी देश के सेना के आदमी हैं और पटरी उखाड़ कर आतंकी हमले को अंजाम देना चाहते हैं। बस तीनों ने फौरन सूचना हैड क्वार्टर दी और इतने में दौड़ पड़े उन लोगों की आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिये अपने देश पर मर मिटने के लिये । पूरा माहौल भारत माता की जै से गूंज गया दुश्मन संभल ही नहीं पाये । इतनी देर में सेना की और टुकड़ी आगयी । उन तीनॊं की सूझ बूझ से हजारों यात्रियों की जान बच गयी । नमन मेरे देश के वीर जवानों को ।
स्वरचित
डा.मधु आंधीवाल एड.
अलीगढ़

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