कहानीलघुकथा
सावधान
वे छोटी बच्ची नहीं,कोमल मगर गठीली देहयष्टि की नवयौवना नहीं,साठ पार कर चुकी प्रोढ़ महिला हैं। उन्होंने कहा... नर पिशाचों को पहचानना आसान नहीं,इनकी कोई उम्र,जाति, धर्म नहीं होता।ये इंसानी शरीर में दानवों से भी अधिक घिनौने और गिरे हुए होते हैं।आप कहती हैं,दो एक अनुभव बताओ, मैं इन घटनाओं को दु:स्वपनों की तरह भूल जाना चाहती हूं, बार- बार इन यंत्रणाओं से गुजरी हूं,सुनना है आपको,सुनिए।उन्होंने कहा...
१.
मैं जब शायद 5 या 6 वर्ष की रही होंगी गर्मियों की छुट्टियों में पड़ोस की ताई का भांजा उनके घर छुट्टियां मनाने आया था, कोई 15 16 वर्ष का, बगल के घर में ही रहता था चीकू, मेरा हम उम्र।एक दोपहर चाची के भांजे ने मुझे और चीकू को बुलाया, कौड़ी- कौड़ी खेलेंगे।केवल तोलिया बांध कर बैठा और किसी बहाने से मेरा हाथ पकड़ कर अपने शिश्न पर लगा दिया...
२.
यह मेरा मौसा था। उसकी बेटी मुझसे बड़ी थी। एक दिन मैं और बहन जब स्कूल से लौटे तो यह सोने का बहाना किए केवल कच्छा पहनकर, अपना... निकाल कर लेटा था..
३.
यह तब की बात है जब मैं शायद तेरा 14 वर्ष की रही हूंगी। कक्षा में मैथ टीचर लड़कियों को जहां-तहां हाथ फिराता रहता था, नाराजगी दिखाने पर फैल कर देता या कक्षा से बाहर कर देता था।
४.
गर्मियों के दिन में अक्सर चारपाइयां बाहर लग जाती थीं। तब बाउंड्री वॉल का सिस्टम नहीं हुआ करता था। यह हमारा पड़ोसी था, जो उठकर सोती हुए बच्चियों के फ्रॉक उठा कर उनके सीने पर हाथ फेरता था।
५.
यह मेरा जीजा था जिसने मेरी जांघ पर चिकोटी काट ली थी।जब बहन को शिकायत की तो उसने मुझ पर ही अपशब्दों की बारिश कर दी।
६.
यह थे तौफीक चाचा, जी हां, चाचा ही कहा करते थे हम उन्हें। यह एक खटटी- मीठी गोली देने के एवज में हाथ फिरा लिया करते थे।
७.
यह था मेरा बॉस जो बातें करते- करते अजीब तरह से होठों पर जीभ फिराता रहता था और उस एक्सरसाइज के बारे में अक्सर बताने को उत्सुक रहता था जिससे वजन जल्दी से जल्दी कम होता है..।
८.
शादी विवाह की भीड़भाड़ का फायदा उठाने वाले ही नहीं, माता के जगरातों में भी रजाइयों में घुसकर फायदा उठाने वालों देवरों से भी औरतों का वास्ता पड़ता है।
९.
भीड़- भाड़ वाली जगहों, सुनसान जगहों, ट्रेनों, बसों,... कहां नहीं ?बस मौका मिलना चाहिए।
इनकी शिकार केवल छोटी लड़कियां और जवान औरतें ही नहीं होतीं, 60- 70 साल की औरतें भी होती हैं।
गीता परिहार
अयोध्या