कहानीसामाजिक
शीर्षक: आनंदना
रोज़ सुबह जल्दी समय पर उठना, घर का सारा बिखरा सामान जमाना, पूरे घर की सफाई और फिर उसके बाद नहाकर, पति, सास और अपने सात साल के बेटे के लिए नाश्ता और खाना बनाकर दफ़्तर निकल जाना, बहुत ही आम बात रहती है आनंदना के लिए, जी हाँ आनंदना एक कामकाजी महिला है। पेशे से आनंदना एक अकाउंटेंट है और जिस निपुणता से वह अपने घर और दफ्तर का काम करती है उससे उसे सिर्फ कामकाजी महिला कहना अधूरा होगा, वह एक नयी श्रेणी की हकदार हैं, उसे "कामकाजी-घरेलू महिला" कहना ज्यादा उचित होगा।
यूँ तो आनंदना अपने नाम की तरह ही बहुत मौज से रहने वाली, सकारात्मक और तेज महिला है और समस्या से डटकर लड़ना बहुत अच्छी तरह उसे आता है पर जब बात परिवार और पारिवारिक समस्याओं को लेकर हो तो वह उतनी ही भावुक रहती है फिर उसके लिए अपनो को साथ लेकर चलना ही सबसे मुख्य हो जाता है बस यही कारण है कि अपनी सास द्वारा की जा रही प्रताड़नाओ को अपना समझ कर सह लेती है। कभी कभी आनंदना का पति रमेश जो की पेशे से एक वकील है, इसको सामान्य ना मानकर अपनी माँ के विरुध्द कुछ कह देता है पर बचपन से जो हमेशा माँ के द्वारा सिखाए गए सबक को सच मानते आया हो उसे माँ को गलत बताकर सच सिखाना बड़ा मुश्किल लगता है और अपनी वकालत का सही ज्ञान होने के बावजूद भी वह महाभारत के भीष्म की तरह बड़ा लाचार, असहाय, बड़बौला और अपनी पत्नी पर हो रही प्रताड़ना का मूकदर्शक बना बैठा रहता है।
कुछ दिनो से आनंदना के पति रमेश की बहन निशा भी अपने ससुराल से घर आई हुयी है यूं तो निशा ने अब तक घर में यही बताया है कि वो अपने घर पर बच्चों की छुट्टियों के चलते आयी है पर सच ये है कि वो अपने ससुराल वालों द्वारा की गई प्रताड़ना के चलते घर छोड़कर आयी है और निशा भी पिछले दो दिनो से अपनी भाभी रूपी सखी पर हो रही प्रताड़ना को देख भी रही थी और रोकने की हिम्मत भी जुटा रही थी, वही हिम्मत जो रमेश मे भी अब तक नहीं आ पाई थी।
आज शाम जब आनंदना दफ्तर से घर आई तो आते ही उसकी सास उसपे फिर से बेतुके कारणों से बरस पड़ी और नौबत हाथ उठाने तक आ गयी, बस जैसे ही सास ने हाथ उठाया आनंदना पर वैसे ही पास खड़ी निशा ने अपनी माँ का हाथ रोकते हुए जोर से झटक दिया, ये सब रमेश अभी भी मूक दर्शक बने हुए देख रहा था। आनंदना की सास ने तेज आवाज़ में निशा को कहा तू इसका पक्ष क्यों ले रही है?
निशा ने जो हिम्मत अब तक जुटाई थी वो पूरी हिम्मत से अपनी माँ से भी ऊंचे स्वर में जवाब देते हुए कहा : माँ काश आपकी बेटी पर भी उठे हाथ को कोई रोकने वाला होता तो ना आपकी बेटी यहां होती और ना ही आप कभी आनंदना पर हाथ उठाती।
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